श्री अंगारक स्तोत्रम्
अंगारकः शक्तिधरो लोहितांगो धरासुतः।
कुमारो मंगलो भौमो महाकायो धनप्रदः ॥१॥
ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृत् रोगनाशनः।
विद्युत्प्रभो व्रणकरः कामदो धनहृत् कुजः ॥२॥
सामगानप्रियो रक्तवस्त्रो रक्तायतेक्षणः।
लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्मावबोधकः ॥३॥
रक्तमाल्यधरो हेमकुण्डली ग्रहनायकः।
नामान्येतानि भौमस्य यः पठेत् सततं नरः॥४॥
ऋणं तस्य च दौर्भाग्यं दारिद्र्यं च विनश्यति।
धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम् ॥५॥
वंशोद्योतकरं पुत्रं लभते नात्र संशयः ।
योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मङ्गलं बहुपुष्पकैः।
सर्वं नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम् ॥६॥

श्री अंगारक स्तोत्रम् के लाभ
- श्री अंगारक स्तोत्रम् का पाठ करने से कुंडली में मंगल दोष हो तो वो भी दूर हो जाता है
- इस स्तोत्र का पाठ करने से शीघ्र ही फल प्राप्त होता है
- यह स्तोत्र बहुत लाभकारी है
- यह स्तोत्र बहुत चमत्कारी है
- इस स्तोत्र का पाठ करने से जातक की हर मनोकामना पूर्ण होती है
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FAQ’S
- श्री अंगारक स्तोत्रम् का पाठ कब करना चाहिए?
श्री अंगारक स्तोत्रम् का पाठ रोज़ करना चाहिए
- अंगारक योग कब बनता है?
आपकी कुंडली में मंगल और राहु का योग हो तो अंगारक योग का आगमन होता है