सजा दो घर को गुलशन सा अवध में राम आए है

सजा दो घर को गुलशन सा,अवध में राम आए है,
अवध मे राम आए है,मेरे सरकार आए है,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
अवध मे राम आए है,सजा दो घर को गुलशन सा,
अवध मे राम आए है।।

पखारो इनके चरणों को,बहा कर प्रेम की गंगा,
बहा कर प्रेम की गंगा,बिछा दो अपनी पलकों को,
अवध मे राम आए है,
सजा दो घर को गुलशन सा,अवध मे राम आए है।।

तेरी आहट से है वाकिफ,नहीं चेहरे की है दरकार,
बिना देखें ही कह देंगे,लो आ गए है मेरे सरकार,
लो आ गए है मेरे सरकार,दुआओं का हुआ है असर,
दुआओं का हुआ है असर,अवध मे राम आए है,
सजा दो घर को गुलशन सा,अवध मे राम आए है।।

बुला लो सारे भक्तों को,कोई भी छूट ना जाए,
बड़ा सौभाग्य होगा जो,तेरे दर्शन को आ पाये,
तेरे दर्शन को आ पाये,करो स्वागत सभी झुक कर,
अवध मे राम आये हैं।।

ये हर दिल की तमन्ना है,तुम्हें महलों में हम देखें,
इन आँखों से मेरे रघुवर,तेरे मंदिर को हम देखें,
तेरे मंदिर को हम देखें,दुआओं का हुआ है असर,
अवध मे राम आये हैं।।

सजा दो घर को गुलशन सा,अवध में राम आए है,
अवध मे राम आए है,मेरे सरकार आए है,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
अवध मे राम आए है,सजा दो घर को गुलशन सा,
अवध मे राम आए है।।

सजा दो घर को गुलशन सा अवध में राम आए है
सजा दो घर को गुलशन सा अवध में राम आए है

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