हनुमान चालीसा | Hanuman Chalisa Hindi Meaning

कहा जाता है कि हनुमानजी भगवान शिव के 11वें अवतार हैं। रावण की मृत्यु केवल इसलिए हुई क्योंकि वह भगवान शिव के 11वें अवतार को संभाल नहीं सका जैसा कि उसने पिछले 10 अवतारों को संभाला था।

इसलिए भगवान हनुमान की पूजा करना महत्वपूर्ण है। भगवान हनुमान को सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त है। उन्होंने सभी ग्रहों को रावण की कैद से बचाया था। इसके अलावा उन्होंने पृथ्वी पर अपने सभी अवतारों के दौरान धर्म की स्थापना के लिए भगवान विष्णु की मदद की थी।

इसलिए उनकी पूजा करने से न केवल सभी नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव समाप्त हो जाते हैं बल्कि आपको वह सब प्राप्त करने में भी मदद मिलती है जो आप चाहते हैं और उनसे चाहते हैं।

हनुमान चालीसा वास्तव में शक्तिशाली है और इसमें बहुत सारी सकारात्मक ऊर्जा है।

हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित

दोहा :

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।

तुलसीदास जी कहते है कहते हैं कि मैं अपने गुरु के चरण कमलों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को स्वच्छ कर, श्रीराम के दोषरहित यश का वर्णन करता हूं जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रूपी चार फल देने वाला है |
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

इस पाठ का स्मरण करते हुए स्वयं को बुद्धिहीन जानते हुए, मैं पवनपुत्र श्रीहनुमान का स्मरण करता हूं जो मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करेंगे और मेरे मन के दुखों का नाश करेंगे |

चौपाई :
 
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

श्री हनुमान जी!आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो!तीनों लोकों,स्वर्ग लोक,भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।
 
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

हे रामदूत,पवनसुत अंजनी नंदन!आपके समान दूसरा बलवान नही है।
 
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।

हे महावीर बजरंग बली! आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है,और अच्छी बुद्धि वालो के साथी, सहायक है।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।

आप सुनहले रंग,सुन्दर वस्त्रों,कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं। 

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।

आपके हाथ मे बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।

हे शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर मे वन्दना होती है। 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।

आप प्रकान्ड विद्या निधान है,गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।

आप श्री राम चरित सुनने मे आनन्द रस लेते है।श्री राम,सीताऔर लखन आपके हृदय मे बसे रहते है। 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

आपने अपना बहुत छोटा रुप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।

आपने विकराल रुप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उदेश्यों को सफल कराया।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।

आपने संजीवनी बुटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा कीऔर कहा की तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो। 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है। 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।

श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी,सरस्वती जी,शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है। 
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

आपनें सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया ,जिसके कारण वे राजा बने।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।

आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने,इसको सब संसार जानता है। 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है की उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे।दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया। 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह मे रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नही है।
 
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

संसार मे जितने भी कठिन से कठिन काम हो,वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।
 
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है,जिसमे आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नही मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।

जो भी आपकी शरण मे आते है,उस सभी को आन्नद प्राप्त होता है,और जब आप रक्षक है,तो फिर किसी का डर नही रहता।

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।

आपके सिवाय आपके वेग को कोई नही रोक सकता,आपकी गर्जना से तीनों लोक काँप जाते है।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।

जहाँ महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है,वहाँ भूत,पिशाच पास भी नही फटक सकते।
 
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

वीर हनुमान जी!आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है,और सब पीड़ा मिट जाती है।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

हे हनुमान जी! विचार करने मे,कर्म करने मे और बोलने मे,जिनका ध्यान आपमे रहता है,उनको सब संकटो से आप छुड़ाते है।
 
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।

तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यो को आपने सहज ही कर दिया।
 

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।

जिसपर आपकी कृपा हो,वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन मे कोई सीमा नही होती।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।

चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग मे आपका यश फैला हुआ है,जगत मे आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।

हे श्री राम के दुलारे ! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।

आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है,जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।
१. अणिमा → जिससे साधक किसी को दिखाई नही पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ मे प्रवेश कर जाता है।
२. महिमा → जिसमे योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।
३. गरिमा → जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।
४.लघिमा → जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।
५. प्राप्ति → जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।
६. प्राकाम्य → जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी मे समा सकता है, आकाश मे उड़ सकता है।
७. ईशित्व → जिससे सब पर शासन का सामर्थय हो जाता है।
८. वशित्व → जिससे दूसरो को वश मे किया जाता है।

नव निधियां :

  1. पद्म निधि
  2. महापद्म निधि
  3. नील निधि
  4. मुकुंद निधि
  5. नंद निधि
  6. मकर निधि
  7. कच्छप निधि
  8. शंख निधि और
  9. खर्व या मिश्र निधि।


 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।

आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण मे रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।

आपका भजन करने सेर श्री राम जी प्राप्त होते है,और जन्म जन्मांतर के दुःख दूर होते है।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।

अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

हे हनुमान जी!आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है,फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नही रहती।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है,उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

हे स्वामी हनुमान जी!आपकी जय हो,जय हो,जय हो!आप मुझपर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।

जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बन्धनों से छुट जायेगा और उसे परमानन्द मिलेगा।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया,इसलिए वे साक्षी है,कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 

हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।इसलिए आप उसके हृदय मे निवास कीजिए।
 
दोहा :
 
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगल स्वरुप हैं। हे देवराज!आप श्री राम,सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय मे निवास कीजिए।



Hanuman Chalisa Lyrics

दोहा :

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि
बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार

चौपाई :
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर
रामदूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुंचित केसा
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजै
संकर सुवन केसरीनंदन
तेज प्रताप महा जग बन्दन
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचंद्र के काज संवारे
लाय सजीवन लखन जियाये
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोबिद कहि सके कहां ते
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना
लंकेस्वर भए सब जग जाना
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहू को डर ना
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हांक तें कांपै
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा
संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै
सब पर राम तपस्वी राजा
तिन के काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोइ अमित जीवन फल पावै
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा
तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम-जनम के दुख बिसरावै
अन्तकाल रघुबर पुर जाई
जहां जन्म हरि भक्त कहाई
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा

दोहा
पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप

हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित, Hanuman Chalisa with Hiindi Meaning
हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित

Hanuman Chalisa PDF

हनुमान चालीसा क्या है?

हनुमान चालीसा में 40 छंदों की स्तुति है जो भगवान हनुमान को समर्पित है। एक बार, राजा अकबर ने तुलसीदास को भगवान राम दिखाने की चुनौती दी, तुलसीदास जी ने कहा कि राम को केवल सच्ची भक्ति से ही देखा जा सकता है। इससे अकबर क्रोधित हो गया और उसने कवि को सलाखों के पीछे डाल दिया। तब तुलसीदासजी ने ‘हनुमान चालीसा’ लिखी और 40वें दिन तक उसका पाठ किया। उसके तुरंत बाद, बंदरों की एक पूरी सेना ने जलाउद्दीन के महल को तोड़ दिया और मुगल राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह तुलसीदासजी के चरणों में गिर गए और इस घटना के बाद तुलसीदास जी को रिहा कर दिया।

हनुमान चालीसा पाठ करने के लाभ

हनुमान चालीसा का पाठ कोई भी कर सकता है और हनुमान चालीसा का पाठ करने के कई फायदे भी हैं।

हनुमान चालीसा का जाप आपको इसे बार-बार पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे। हनुमान चालीसा में प्रत्येक श्लोक का अपना प्रभाव होता है और हनुमान जी की कृपा से भरपूर इन सुंदर श्लोकों को पढ़ने में बहुत कम समय लगता है।

  1. रात के समय हनुमान चालीसा की आरंभिक चौपाइयों का कम से कम 8 बार पाठ करने से जाने-अनजाने में किसी को चोट पहुंचाने या उसका अपमान करने के कारण किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।
  2. यात्रा से पहले हनुमान चालीसा का पाठ आपको दुर्घटनाओं और जोखिमों से बचाता है।
  3. किसी बीमार व्यक्ति को हनुमान चालीसा पढ़ने से आराम महसूस होता है।
  4. छात्रों को एकाग्रता बढ़ाने के लिए हनुमान चालीसा पढ़ने की सलाह दी जाती है।
  5. जो लोग अनिद्रा या खराब गुणवत्ता वाली नींद से जूझते हैं, उनके लिए हनुमान चालीसा पढ़ने से तंत्रिकाएं शांत हो सकती हैं और गहरी मीठी नींद आ सकती है।
  6. जो व्यक्ति शनिवार के दिन 8 बार हनुमान चालीसा का पाठ करता है, वह अपने जीवन में शनि देव के प्रतिकूल प्रभावों से छुटकारा पा सकता है।
  7. दोपहर के समय 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है।
  8. जो व्यक्ति हनुमान चालीसा का पाठ करता है उससे दिव्य आभा निकलने लगती है और लोग उस व्यक्ति की ओर आकर्षित हो जाते हैं।
  9. हनुमान चालीसा के नियमित पाठ से चरित्र में गतिशील परिवर्तन आता है।
  10. हनुमान चालीसा आंतरिक भय को दूर करने में मदद करती है और दिल को साहस और आत्मविश्वास से भर देती है। महत्वपूर्ण बैठकों और नौकरी के साक्षात्कार से पहले इसे पढ़ने से तनाव दूर हो सकता है और सफलता भी मिल सकती है।

हनुमान के प्रति समर्पित हृदय और प्रेम वाला कोई भी व्यक्ति हनुमान चालीसा पढ़ने का लाभ प्राप्त कर सकता है। हनुमान चालीसा हमेशा अपने पास रखने से आप इसका पाठ कभी भी कर सकते हैं।

आप अपने घर या कार्यालय में किसी पवित्र स्थान पर हनुमान यंत्र भी स्थापित कर सकते हैं और उसका ध्यान कर सकते हैं। भगवान हनुमान के नाम पर धूप जलाकर उनकी शक्तियों पर ध्यान दें। और उनके मंत्र, “ओम हं हनुमते नमः!” का उच्चारण करके शुरुआत करें।



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