श्री भागवत भगवान की आरती | Shree Bhagwat Ji Ki Aarti
श्री भागवत भगवान की आरती श्री भागवत भगवान की है आरती,पापियों को पाप से है तारती ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पन्थ,ये पंचम वेद निराला, …
श्री भागवत भगवान की आरती श्री भागवत भगवान की है आरती,पापियों को पाप से है तारती ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पन्थ,ये पंचम वेद निराला, …
भगवद गीता अध्याय 18 अर्जुन उवाचसन्न्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम् ।त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन ৷৷18.1৷৷ गीता श्लोक हिंदी अर्थ सहित : अर्जुन बोले- हे महाबाहो! हे …
भगवद गीता अध्यायः 17 अर्जुन उवाचये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयान्विताः।तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वमाहो रजस्तमः৷৷17.1৷৷ भावार्थ :अर्जुन बोले- हे कृष्ण! जो मनुष्य शास्त्र विधि को …
भगवद गीता अध्याय 16 श्रीभगवानुवाचअभयं सत्त्वसंशुद्धिर्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः।दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्॥16.1॥ भावार्थ : श्री भगवान बोले- भय का सर्वथा अभाव, अन्तःकरण की पूर्ण निर्मलता, तत्त्वज्ञान के …
भगवद गीता अध्याय 15 श्रीभगवानुवाचऊर्ध्वमूलमधः शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् ।छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित् ৷৷15.1৷৷ गीता श्लोक अर्थ : श्री भगवान ने कहा – हे …
भगवद गीता अध्याय 14 श्रीभगवानुवाचपरं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानं मानमुत्तमम् ।यज्ज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां सिद्धिमितो गताः ॥ (१) गीता श्लोक भावार्थ : श्री भगवान ने कहा …
भगवद गीता अध्यायः 13 ज्ञानसहित क्षेत्र अर्जुन उवाचप्रकृतिं पुरुषं चैव क्षेत्रं क्षेत्रज्ञमेव च ।एतद्वेदितुमिच्छामि ज्ञानं ज्ञेयं च केशव ৷৷13.1৷৷ भगवद गीता श्लोक भावार्थ : अर्जुन …
भगवद गीता अध्यायः 12 अर्जुन उवाच एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते ।ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः ॥ गीता श्लोक अर्थ : अर्जुन बोले ,जो अनन्य …
भगवद गीता अध्याय 11 : विराट रूप मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसंज्ञितम् |यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोSयं विगतो मम || १ || गीता श्लोक का अर्थ : अर्जुन ने …
भगवद गीता अध्याय 10 : श्रीभगवान् का ऐश्वर्य श्रीभगवानुवाचभूय एव महाबाहो शृणु मे परमं वचः |यत्तेSहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया || १ || गीता श्लोक का …
भगवद गीता अध्याय 9 : परम गुह्य ज्ञान श्रीभगवानुवाचइदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यसूयवे |ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेSश्रुभात् || १ || गीता श्लोक का अर्थ : …
भगवद गीता अध्याय 8 : भगवत्प्राप्ति किं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम |अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते || १ || श्लोक का अर्थ: अर्जुन ने …
भगवद गीता अध्याय 7 : भगवद्ज्ञान श्रीभगवानुवाचमय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः |असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु || १ || गीता श्लोक का अर्थ : श्रीभगवान् …
भगवद गीता अध्याय 6 : ध्यानयोग श्रीभगवानुवाचअनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः |स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः || १ || भगवत गीता …
भगवद गीता अध्याय 5 अर्जुन उवाच सन्न्यासं कर्म णां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि |यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्र्चितम् || १ || श्लोक का अर्थ:अर्जुन ने …