केले की पेड़ की पूजा का मंत्र
धर्मिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीहरि विष्णु को केला अति प्रिय है। इसलिए यह भी कहा जाता है की उनका …
धर्मिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीहरि विष्णु को केला अति प्रिय है। इसलिए यह भी कहा जाता है की उनका …
कूर्म का सबसे पहला विवरण शतपथ ब्राह्मण (यजुर्वेद) में मिलता है, जहां वह प्रजापति-ब्रह्मा का एक रूप है और समुद्र …
सुदर्शन अष्टकम भगवान विष्णु के प्रिय सुदर्शन चक्र को समर्पित है। इसका नियमित पाठ करने से साधक की समस्त मनोकामनायें …
श्री गणेशाय नमः । अव्यादजोऽङ्घ्रि मणिमांस्तव जान्वथोरू यज्ञोऽच्युतः कटितटं जठरं हयास्यः । हृत्केशवस्त्वदुर ईश इनस्तु कण्ठं विष्णुर्भुजं मुखमुरुक्रम ईश्वरः कम् …
विष्णोः शतनामस्तोत्रम् नारद उवाच । ॐ वासुदेवं हृषीकेशं वामनं जलशायिनम् । जनार्दनं हरि कृष्णं श्रीवक्षं गरुडध्वजम् ॥१॥ वाराहं पुण्डरीकाक्षं नृसिंहं …
पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् ।निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥ शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत …
श्री हरि स्तोत्रं विष्णु पुराण के अनुसार जो संसार में सर्वोच्च ईश्वर हैं, श्री विष्णु उनका निकटतम मूर्त स्वरुप है। …
ॐ श्रीगणेशाय नमः । नूनं त्वं भगवान्साक्षाद्धरिर्नारायणोऽव्ययः । अनुग्रहाय भूतानां धत्से रूपं जलौकसाम् ॥ १॥ नमस्ते पुरुषश्रेष्ठ स्थित्युत्पत्त्यप्ययेश्वर । भक्तानां …
अक्षय तृतीया, जिसे अखा तीज भी कहा जाता है, हिंदू कैलेंडर में सबसे शुभ और महत्वपूर्ण दिनों में से एक …
बद्रीनाथ धाम मंदिर बद्रीनाथ धाम भारत के उत्तराखंड राज्य के बद्रीनाथ शहर में स्थित भगवान विष्णु को समर्पित एक हिंदू …
उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा पौराणिक कथाओं के अनुसार देव युग में मुर नामक एक राक्षस हुआ करता था जिसने …
भारत में केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम में पूर्वी किले के अंदर स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित …
पुरुष सूक्तम सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्। स भूमिँसर्वतः स्पृत्वाऽत्यतिष्ठद्दशाङगुलम्।। जो सहस्रों सिरवाले, सहस्रों नेत्रवाले और सहस्रों चरणवाले विराट …
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् । लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् …
श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्रम् ध्यानम् चक्रं विद्या वर घट गदा दर्पणम् पद्मयुग्मं दोर्भिर्बिभ्रत्सुरुचिरतनुं मेघविद्युन्निभाभम् । गाढोत्कण्ठं विवशमनिशं पुण्डरीकाक्षलक्ष्म्यो-रेकीभूतं वपुरवतु …