माता जगदम्बा जी की आरती
सुन मेरी देवी पर्वत बासिनि तेरा पार न पाया ।
सुन मेरी देवी पर्वत बासिनि तेरा पार न पाया ……
पान सुपारी धव्जा नरिरल ले तेरी भेंट चढ़ाया
सुन मेरी देवी पर्वत बासिनि तेरा पार न पाया ……
सुआ चोली तेरे अंग बिराजे, केसर तिलक लगाया
सुन मेरी देवी पर्वत बासिनि तेरा पार न पाया ……
ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे,शंकर तिलक लगाया
सुन मेरी देवी पर्वत बासिनि तेरा पार न पाया ……
नंगे नंगे पग से तेरे सम्मुख से अकबर आया
सोने का छत्र चढ़ाया…
सुन मेरी देवी पर्वत बासिनि तेरा पार न पाया ……
सतयुग द्वापर त्रेता मद्धया कलयुग राज सवाया ।।
सुन मेरी देवी पर्वत बासिनि तेरा पार न पाया ……
धुप, दीप, नैवैध आरती मोहन भोग लगाया ।।
सुन मेरी देवी पर्वत बासिनि तेरा पार न पाया ……
धयानू भक्त मैया तेरा गुण गाये मनबांछित्त फल पाया
सुन मेरी देवी पर्वत बासिनि तेरा पार न पाया ……