काठगढ़ महादेव का मंदिर का इतिहास

काठगढ़ महादेव का मंदिर हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा से लेकर इंदौरा से 7 किलोमीटर दूर स्थित है|

इस मंदिर में अर्धनारेश्वर शिवलिंग है जो कि शंभू है वह विश्व में एकमात्र अर्धनारेश्वर शिवलिंग है यह शिवलिंग दो भागों में बटा है एक भाग जो कि 7 से 8 फुट का है|

वह शिव का प्रतीक है और दूसरा भाग 5 से 6 फुट का है जो कि माता पार्वती का प्रतीक माना जाता है|

यह शिवलिंग काले एवं भूरे रंग का है जो कि अष्टकोणीय है इस शिवलिंग में दोनों भागों का अंतर ग्रहों एवं नक्षत्रों के अनुसार घटता बढ़ता रहता है|

महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और शिव का यह पाषाण रूप एक हो जाता है यदि पौराणिक कथाओं को देखा जाए तो मालूम चलता है कि प्रभु श्री राम के भाई भरत जब भी अपने ननिहाल के कैकयी देश यानी कश्मीर जाते थे|

तो काठगढ़ अर्ध नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा किया करते थे यह शिवलिंग उनके इष्ट देव भी थे कहा जाता है कि महाराजा रंजीत सिंह को यह धाम अत्यंत प्रिय था उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान मंदिर का विस्तार किया|

उन्हें इस मंदिर में इतनी आस्था थी कि वह अपने हर शुभ कार्य के लिए मंदिर के समीप स्थित कुए का जल ही प्रयोग किया करते थे|

मान्यताओं के अनुसार यह कुआं श्री राम के पिताजी राजा दशरथ जी ने बनवाया था यहां के पुजारी से बात करने पर पता चला कि सिकंदर जब भारत आया था|

तो वह अपने सैनिकों के साथ इस मंदिर के समीप विश्राम करने को रुका था तब सिकंदर ने एक व्यक्ति को इस शिवलिंग की पूजा करते देखा|

तब सिकंदर ने उस व्यक्ति से पूछा कि वह क्या कर रहा है फिर उस व्यक्ति ने सिकंदर को शिव महापुराण द्वारा वर्णित इस शिवलिंग की महत्वता के बारे में बताया|

यह शंभू अर्थ स्वयं प्रकट शिवलिंग है जो के आदिकाल से हैं और आज तक कोई भी इसकी गहराई का पता ना लगा पाया|

ऐसा सुनकर सिकंदर अत्यंत क्रोधित हुआ और उसने अपने सैनिकों को कहा कि इस शिवलिंग को जड़ से उखाड़ व्यास नदी में बहा दिया जाए|

आज्ञा का पालन करने के लिए सिकंदर के सैनिकों ने इस शिवलिंग के चारों तरफ खुदाई आरंभ कर दी उसमें से कुछ विचित्र कीड़े खुदाई में से निकलने लगे|

जिसके काटने से सैनिकों की मौत होने लगी ऐसा देखकर सिकंदर का घमंड चूर चूर हो गया और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ|

तब उसने इस शिवलिंग के चारों तरफ चबूतरे का निर्माण करवाया आज भी यहां चबूतरो पर यूनानी की कलाकृति देखने को मिलती है|

जो भी भक्त इस इस शिवलिंग का सच्चे मन से दर्शन करते हैं उनका महादेव कल्याण करते हैं और उनके हर इच्छा पूर्ण होती है हर हर महादेव!


काठगढ़ महादेव का मंदिर का इतिहास
काठगढ़ महादेव का मंदिर का इतिहास

FAQ

  1. <strong>काठगढ़ मंदिर किस देवता को समर्पित है ?</strong>

    भगवान शिव

  2. <strong>काठगढ़ मंदिर कहाँ पर स्तिथ है ?</strong>

    काठगढ़, जिला, तहसील, इंदौरा, हिमाचल प्रदेश 176401

  3. <strong>काठगढ़ महादेव मंदिर प्रमुख त्यौहार क्या है ?</strong>

    महाशिवरात्रि