माँ धूमावती स्तुति
विवर्णा चंचला कृष्णा दीर्घा च मलिनाम्बरा,
विमुक्त कुंतला रूक्षा विधवा विरलद्विजा,
काकध्वजरथारूढा विलम्बित पयोधरा,
सूर्पहस्तातिरुक्षाक्षी धृतहस्ता वरान्विता,
प्रवृद्वघोणा तु भृशं कुटिला कुटिलेक्षणा,
क्षुत्पिपासार्दिता नित्यं भयदा काल्हास्पदा |
