भगवान की अद्भुत रचना है मां

एक बच्चा दुनिया में कदम रखने से पहले अपने असली घर मतलब परमधाम (स्वर्ग) में रहता था|

वह बच्चा आराम से अपने परम पिता के पास स्वर्ग में रहता था|

वहां वह बड़ा खुश था और वहां उसे किसी बात की कोई तकलीफ नहीं थी|

एक बार परमपिता शिवजी जी ने उससे कहा तुम्हारा नीचे धरती पर जाने का समय नजदीक आ रहा है|

बचे ने कहा भगवान:- मैं इतना छोटा हूं मैं खुद से तो कुछ कर नहीं सकता सिर्फ हंसना और खेलना ही जानता हूं इसलिए मुझे कहीं नहीं जाना|

मैं हमेशा आपके साथ ही रहना चाहता हूं|

शिवजी जी ने कहा:- धरती पर मेरे बहुत सारे फरिश्ते हैं|

उन्हीं में से एक मैंने तुम्हारे लिए चुन लिया है|

जो तुम्हारा इंतजार कर रहा है अब से वह तुम्हारा ख्याल रखेगा|

बच्चे ने कहा:- मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आता ना देखकर, सुनकर और ना ही बोलना आता है|

मेरा तो सारा काम आप ही करते हो और आप ही मेरा ख्याल रखते हो|

ऐसे मैं अकेला धरती पर कैसे जाऊं|

शिवजी जी ने कहा:- तुम्हारा फरिश्ता तुम्हारा चेहरा देख कर ही समझ जाएगा कि तुम्हें किस चीज की जरूरत है और तुम क्या कहना चाहते हो और नाही उससे बात करने के लिए तुम्हें किसी भी भाषा की जरूरत पड़ेगी|

बच्चे ने कहा:- अगर लोग मेरे से बात करेंगे तो मैं समझूंगा कैसे भगवान ने कहा तुम्हारा फरिश्ता तुम्हें बाहरी लोगों से बातचीत के लिए भाषा भी सिखाएगा|

वह तुम्हारे होठों पर जरा सी मुस्कान लाने के लिए किसी भी हद तक चला जाएगा|

और तुम उसके प्रेम को महसूस करोगे और खुश रहोगे भगवान ने कहा तुम्हारा फरिश्ता ही तुम्हें हाथ जोड़कर प्रार्थना करना सिखाएगा|

इस तरह तुम हमेशा अपने मन की बात मुझसे कर सकोगे बच्चे ने कहा मैंने सुना है कि धरती पर बुरे लोग भी होते हैं|

मुझे उनसे कौन बचाएगा मैं तो अपनी रक्षा करना नहीं जानता|

भगवान ने कहा:- तुम्हारा फरिश्ता ही तुम्हें बचाएगा|

भले ही तुम्हें बचाते बचाते उसकी जान खतरे में क्यों ना आ जाए|

बच्चे ने कहा:- मैं हमेशा दुखी रहूंगा क्योंकि मैं यह सब नहीं देख पाऊंगा|

इस पर भगवान मुस्कुराए और बोले तुम इसकी चिंता मत करो|

तुम जब जब अपने फरिश्ते को देखोगे उसके चेहरे पर मुझे ही पाओगे|

थोड़ी देर में ही धरती पर किसी के दर्द से चिल्लाने की आवाज आई|

बच्चा समझ गया कि अब उसे जाना होगा|

उसने रोते-रोते भगवान से आखरी प्रश्न पूछा हे भगवान अब तो मैं जाने वाला हूं|

कृपया मुझे उस फरिश्ते का नाम बता दीजिए|

भगवान बोले:- फरिश्ते के नाम का कोई महत्व नहीं बस इतना जान लो कि तुम उसको ‘माँ’ कहकर बुलाओगे|

और मां अपनी ममता से तुम्हारा पालन पोषण करेगी|

और तुम्हें उसके पालन-पोषण से ऐसा लगेगा कि जैसे तुम अपने परम पिता परमात्मा के पास हो|

लेकिन एक बात का तुम भी ख्याल रखना कि जो फरिश्ता मैंने धरती पर तुम्हारे लिए चुना है|

जिसको तुम मां कह कर पुकारोगे|

उसकी आंखों में कभी तुम्हारे कारण आंसू ना आए|

क्योंकि अगर वह फरिश्ता रोएगा|

तो मैं भी रोऊँगा और उस फरिश्ते के कदमों में तुम्हें स्वर्ग नसीब होगा|

इसलिए उस फरिश्ते के पैरों को चूमना और उनका ख्याल रखना|

क्योंकि मां की ममता का मोल तुम कभी चुका नहीं पाओगे|

तुम्हें जन्म देने के लिए माँ बहुत दर्द सहन करती है|

इसलिए मेरे उस फ़रिश्ते का ख्याल रखना|


भगवान की अद्भुत रचना है मां
भगवान की अद्भुत रचना है मां
भगवान की अद्भुत रचना है मां
भगवान की अद्भुत रचना है मां