महामृत्युंजय मंत्र और इसके लाभ
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ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!
।।इति।।
भगवान शिव के उपासक ऋषि मृकंदुजी के घर कोई संतान नहीं थी। उन्होंने भगवान शिव की कठिन तपस्या की।
भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा।
उन्होंने संतान की कामना की। भगवान शिव ने कहा,‘‘तुम्हारे भाग्य में संतान नहीं है। तुमने हमारी कठिन भक्ति की है इसलिए हम तुम्हें एक पुत्र देते हैं ।
लेकिन उसकी आयु केवल सोलह वर्ष की होगी ।’’
कुछ समय के बाद उनके घर में एक पुत्र ने जन्म लिया। उसका नाम मार्कंडेय रखा।
पिता ने मार्कंडेय को शिक्षा के लिए ऋषि मुनियों के आश्रम में भेज दिया। पंद्रह वर्ष व्यतीत हो गए। मार्कंडेय जी शिक्षा लेकर घर लौटे।
उनके माता- पिता उदास थे। जब मार्कंडेय जी ने उनसे उदासी का कारण पूछा तो उनके पिता ने मार्कंडेय जी को सारा हाल बता दिया। मार्कंडेय जी ने पिता से कहा कि उन्हें कुछ नहीं होगा।
माता-पिता से आज्ञा लेकर मार्कंडेय भगवान शिव की तपस्या करने चले गए। उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की। एक वर्ष तक उसका जाप करते रहे।
जब सोलहवर्ष पूर्णहो गए, तो उन्हें लेने के लिए यमराज आए। वे शिव भक्ति में लीन थे। जैसे ही यमराज उनके प्राण लेनेआगे बढ़े तो मार्कंडेय जी शिवलिंग से लिपट गए।
जब सोलहवर्ष पूर्णहो गए, तो उन्हें लेने के लिए यमराज आए। वे शिव भक्ति में लीन थे। जैसे ही यमराज उनके प्राण लेनेआगे बढ़े तो मार्कंडेय जी शिवलिंग से लिपट गए।
उसी समय भगवान शिव त्रिशूल उठाए प्रकट हुए और यमराज से कहा कि इस बालक के प्राणों को तुम नहीं ले जा सकते। हमने इस बालक को दीर्घायु प्रदान की है।
यमराज ने भगवान शिव को नमन किया और वहाँ से चले गए।
तब भगवान शिव ने मार्कंडेय जी को कहा, ‘तुम्हारे द्वारा लिखा गया यह मंत्र हमें अत्यंत प्रिय है।
भविष्य में जो कोई इसका स्मरण करेगा हमारा आशीर्वाद उस पर सदैव बना रहेगा’ इस मंत्र का जप करने वाला मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है और भगवान शिव की कृपा उस पर हमेशा बनी रहती है।
यही बालक बड़ा होकर मार्कंडेय ऋषि के नाम से विख्यात हुआ ।
महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग
महामृत्युञ्जय मन्त्र यानी मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र भी कहा हैं जिसे त्रयंबकम मंत्र भी कहा जाता है, यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में, भगवान शिव जी की स्तुति हेतु की गयी एक वन्दना है।
इस महामृत्युञ्जय मन्त्र में शिव को ‘मृत्यु को जीतने वाला’ बताया गया है। यह हिंदू धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मंत्र है।
महामृत्युञ्जय मंत्र का जाप करते हुए सवा घंटे तक प्रतिदिन पारद शिवलिंग का जल से अभिषेक करने के बाद अभिषेक किया हुआ जल रोगी को पिलाने से कैसा भी पुराना या कष्ट देने वाला या मृत्यु के समान कष्ट देने वाला रोग हो वह रोग का नाश हो जाता हैं और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है ।
स्वास्थ्य लाभ के लिए महामृत्युंजय मंत्र के प्रयोग
सर्व प्रथम आप तांत्रिक महामृत्युञ्जय मंत्र के 1,51,000 जाप का अनुष्ठान करके मंत्र सिद्धि प्राप्त करें तत्पश्चात जब कभी कोई नजर दोष, टोने टोटकों से या तांत्रिक क्रिया से परेशान कोई व्यक्ति आए तो उसे मोर पंख से झाड़ा देने से समस्त समस्याओं का समाधान हो जाएगा ।
शिव मन्दिर में आसन पर बैठकर अपने सामने जल से भरें ताँबे के कलश को रखकर 5 माला महामृत्युञ्जय मंत्र का जाप करे ।
प्रत्येक माला जाप के बाद जल में फूंक मारते जाए, इस प्रकार से 5 माला जाप करके 5 बार जल में फूंक मारकर उस जल को रोगी को दिलाने से स्वास्थ्य में आश्चर्य जनक लाभ होता है।
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संकट नाश के लिए महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग
महामृत्युञ्जय मंत्र से जायफल की आहुति देने से रोगों का नाश और अचानक आए हुए संकटों से मुक्ति मिलती हैं ।
मनोंकामना पूर्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र के प्रयोग
भगवान शिव को मासिक शिवरात्रि को 108 निंबुओंकी माला पहनाए और अमावस्या को माला उतारकर निंबुओं को अलग अलग करें, उसके बाद फिर महामृत्युञ्जय मंत्र से निंबु का हवन करनें से कोई एक मनोंकामना की पूर्ति हो जाएगी ।
सुख समृद्धि के लिए महामृत्युंजय मंत्र के प्रयोग
रविवार को ताँबे के पात्र में जल में गुड़ और लाल चंदन मिलाकर महामृत्युञ्जय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ानें से सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य की प्राति और सूर्य ग्रह की शांति होती हैं ।
मानसिक परेशानी दूर करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग
प्रति सोमवार को चाँदी अथवा स्टील के पात्र में जल में दूध, सफेद तिल्ली और शक्कर मिलाकर मृत्युञ्जय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ानें से मानसिक शांति और मनोंकामना की पूर्ति तथा चन्द्र ग्रह की शांति होती हैं ।
संतान प्राप्ति करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग
प्रति मंगलवार को ताँबे के पात्र में जल में गुड़ मिलाकर लाल फुल डालकर मृत्युञ्जय मंत्र जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाने से सभी प्रकार के सुखो की प्राप्ति,पुत्र की प्राप्ति और स्वास्थ्य लाभ व शत्रुओं का नाश तथा मंगल ग्रह की शांति होती है।
धन लाभ या ब्यापार वृद्धि करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग
प्रति बुधवार को कांसे के पात्र में दही, शक्कर, और घी मिलाकर मृत्युञ्जय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाने से बुद्धि तीव्र और तेज होकर उत्तम विद्या की प्राप्ति होती है, व्यापार में वृद्धि होकर धन लाभ होता हैं और बुध ग्रह की शांति होती हैं।
महामृत्युंजय मंत्र के उपाय
उत्तम विद्या, धनधान्य और पुत्र पौत्र सुख और मनोकामना की पुर्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र के उपाय
प्रति गुरू वार को काँसे या पीतल के पात्र में जल में हल्दी मिला कर मृत्युञ्जय मंत्र जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ानें से उत्तम विद्या की प्राप्ति, धनधान्य तथा पुत्र पौत्र आदि की प्राप्ति और गुरू ग्रह की शांति होती हैं।
विवाह, संतान और भौतिक सुख साधनों की वृद्धि के लिए महामृत्युंजय मंत्र के उपाय
प्रति शुक्रवार को चाँदी स्टील के पात्र में जल, दूध, दहि, मिश्री या शक्कर मिलाकर मृत्युञ्जय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ानें से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं, संतान सुरव और भौतिक सुख साधनों की वृद्धि होती है और शुक्र ग्रह की शांति होती हैं।
शत्रु भय,आर्थिक संकट निवारण और धनधान्य के लिए महामृत्युंजय मंत्र के उपाय
शनिवार को बादाम तेल और जैतुन तेल मे गुलाब और चंदन इत्र मिलाकर एक करके चोमुखी यानी चार बत्ती वाला दीपक शिव मन्दिर मे जलाकर लोहे या स्टील के पात्र में सरसो के तेल भरकर मृत्युञ्जय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ानें से मानसिक कष्ट का निवारण होता है|
शत्रुओं का नाश होता हैं, व्यापार मे उन्नति या नौकरी में उन्नति होती है, धनधान्य की वृद्वि होती है, अपने कार्य क्षेत्र में राज्य की प्राप्ति होती है।
यौवन की सुरक्षा के लिए महामृत्युंजय मंत्र के उपाय
दूध में निहारते हुए इस मंत्र का जप किया जाए और फिर वह दूध पी लिया जाए तो यौवन की सुरक्षा में भी सहायता मिलती है।
कलेश, पारिवारिक सुख साधनों की वृद्धि के लिए महामृत्युंजय मंत्र के उपाय
घर में कलेश रहता हो, पारिवारिक दुःख चल रहा हो या घर में अकाल मृत्यु हो रही हो तब ऐसे में नित्य रोज सुबह शाम महामृत्युञ्जय मन्त्र का जाप किया जाये, तो पीड़ा जड़ से खत्म हो जाती है।
धन हानि से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र के उपाय
यदि आपके जीवन में किसी भी कारण से धन की हानि हो रही है या आपका व्यवसाय नहीं चल पा रहा है तो महामृत्युञ्जय मन्त्र से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
महामृत्युंजय मंत्रों के हवन से रोगों से मुक्ति
महामृत्युंजय मंत्रों के जाप, यज्ञ, हवन में प्रयुक्त होने वाली हवन सामग्री द्वारा आहुति देने से भी अलग-अलग लाभ प्राप्त होते हैं।
जैसे- घी से आयु रक्षा, घी लगी दूब से महारोग, शहद व घी से मधुमेह, घी, शहद, शक्कर व साबुत मसूर से मुंह के रोग, घी लगी आक की लकड़ी या पत्ते से स्वास्थ्य और शरीर की रक्षा, ढाक के पत्ते से नेत्ररोग, बेल पत्ते या फल से पेट के रोग, भांग, धतूरा या आक से मनोरोग, गूलर समिधा, आंवले या काले तिल से शरीर का दर्द, ढाक की समिधा या पत्ते से सभी रोगों से मुक्ति, दूध में डूबे आम के पत्तों से जटिल बुखार दूर होता है।
दुर्घटना रक्षा के लिए महामृत्युंजय मंत्र के उपाय
एक सफ़ेद कागज पर लाल पैन से महामृत्युंजय मंत्र लिखकर उसे एक दिन के लिए अपने पूजास्थल पर रख दें और फिर हमेशा वाहन चलाते समय इसे अपने ऊपर वाली जेब में रखें दुर्घटनाओं से हमेशा आपकी रक्षा होगी।
महामृत्युंजय मंत्र के उपाय
अपने या जिसके लिए भी ये प्रयोग करना है उसके नाम या खुद के लिये है तो अपना नाम लेकर संकल्प लेवे |
जल शिवलिंग के निकट छोड दे और उक्त मन्त्र का 108 बार जाप करे फिर दूध की मिठाई और बेलपत्त लेकर 27 बार यही मंत्र पढ कर शिवलिंग पर से घुमाये 7 बार मंत्र पढते हुये शिव से प्रार्थना करे कि भगवान महामृत्युंजय शिव जी सब रोग नष्ट कर दे |
फिर 27 – 27 बार दोनो को इस मंत्र से अभिमंत्रित करके स्वयम खा ले या रोगी को खिला दे साथ ही जल से भरे के गिलास मे गंगाजल की 2 – 5 बूंद डालकर उसे भी अभिमंत्रित कर पिलाये !
सोमवार से 7 दिन करे ! शिव जी सब बीमारी आशातीत लाभ होगा |
मंत्र-ॐ हौं जूं सः
नवग्रह शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग
सूर्य ग्रह की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र
सूर्य ग्रह की शांति के लिए जातक को रविवार को ताँबे के पात्र में जल में गुड़ और लाल चंदन मिलाकर महामृत्युञ्जय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाने से सूर्य ग्रह की शांति होती हैं।
चन्द्र ग्रह की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र
चन्द्र ग्रह की शांति के लिए जातक को प्रति सोमवार को चाँदी अथवा स्टील के पात्र में जल में दूध, सफेद तिल्ली और शक्कर मिलाकर Mahamrityunjaya Mantra का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाने से चन्द्र ग्रह की शांति होती हैं।
मंगल ग्रह की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र
मंगल ग्रह की शांति के लिए जातक को प्रति मंगलवार ताँबे के पात्र में जल में गुड़ मिलाकर लाल फुल डालकर महामृत्युञ्जय मंत्र जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाने से मंगल ग्रह की शांति होती है।
बुध ग्रह की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र
बुध ग्रह की शांति के लिए जातक को प्रति बुधवार को कांसे के पात्र में दही, शक्कर, और घी मिलाकर Mahamrityunjaya Mantra का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाने से बुध ग्रह की शांति होती हैं।
गुरू ग्रह की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र
गुरू ग्रह की शांति के लिए के लिए जातक को प्रति गुरूवार को काँसे या पीतल के पात्र में जल में हल्दी मिलाकर महामृत्युञ्जय मंत्र जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाने से गुरू ग्रह की शांति होती हैं।
शुक्र ग्रह की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र
शुक्र ग्रह की शांति के लिए के लिए जातक को प्रति शुक्रवार को चाँदी स्टील के पात्र में जल,दूध, दहि, मिश्री या शक्कर मिलाकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाने से शुक्र ग्रह की शांति होती हैं।
शनि ग्रह की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र
शनि ग्रह की शांति के लिए के लिए जातक को प्रति शनिवार को बादाम तेल और जैतुन तेल मे गुलाब और चंदन इत्र मिलाकर एक करके चोमुखी दीपक शिव मन्दिर मे जलाकर लोहे या स्टील के पात्र में सरसो के तेल भरकर महामृत्युञ्जय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाने से शनि ग्रह की शांति होती हैं।
मेष राशि के महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ
मेष राशि के जातक को महामृत्युंजय मंत्र का नित्य जाप करने से भूमि भवन संबंधी परेशानियों एवं व्यापार में बढ़ोत्तरी और अपने कार्यों में लाभ होने लगता हैं।
वृषभ राशि के महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ
वृषभ राशि के जातक को महामृत्युंजय मंत्र का नित्य जाप करने से उनके शरीर में विशेष रूप से उत्साह एवं ऊर्जा की अनुभूति होती है इसके साथ उन्हें अपने भाई-बहनों से पूर्ण सुख एवं सहयोग मिलता रहता हैं।
मिथुन राशि के महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ
मिथुन राशि के जातक को महामृत्युंजय मंत्र का नित्य जाप करने से उन्हें जीवनभर आर्थिक लाभ व पारिवारिक सुख मिलता हैं । और स्वास्थ्य संबंघी सभी प्रकार की बाधाओं एवं पीड़ाओं से निवृत्ति रहता हैं ।
कर्क राशि के महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ
कर्क राशि के जातक को महामृत्युंजय मंत्र का नित्य जाप करने से शारीरिक व जीवन का सर्वागीण विकास होता हैं ।
सिंह राशि के महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ
सिंह राशि के जातक को महामृत्युंजय मंत्र का नित्य जाप करने से पारिवारिक सुख की प्राप्ति के साथ आराम दायक जीवन का यापन होना । और जातक की अनावश्यक प्रवृत्तियों व बुरी आदतों पर अंकुश लगता हैं ।
कन्या राशि के महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ
कन्या राशि के जातक को महामृत्युंजय मंत्र का नित्य जाप करने से उनके जीवन में सुख एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति व धन-धान्य संबंधी लाभ के साथ उनकी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती हैं ।
तुला राशि के महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ
तुला राशि के जातक को महामृत्युंजय मंत्र का नित्य जाप करने से व्यापार क्षेत्र में हो रही परेशानी समाप्त होकर सफ़लता मिलती हैं । और नौकरी क्षेत्र में पदोन्नति हेतु विशेष लाभप्रद होता हैं ।
वृश्चिक राशि के महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ
वृश्चिक राशि के जातक को महामृत्युंजय मंत्र का नित्य जाप करने से भाग्योदय में वृद्धि के साथ साथ आध्यात्मिक क्षेत्र में उन्नति की संभावनाएं बनने लगाती हैं ।
धनु राशि के महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ
धनु राशि के जातक को महामृत्युंजय मंत्र का नित्य जाप करने से पैतृक संपत्ति की प्राप्ति और दुर्घटनाओं एवं आकस्मिक आपदाओं से रक्षा होती हैं ।
मकर राशि के महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ
मकर राशि के जातक को महामृत्युंजय मंत्र का नित्य जाप करने से सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति व दांपत्य जीवन में मधुरता के साथ व्यापारिक क्षेत्र में उन्नति के अवसर प्राप्त होते हैं ।
कुंभ राशि के महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ
कुंभ राशि के जातक को महामृत्युंजय मंत्र का नित्य जाप करने से शत्रु से मुक्ति एवं ऋण संबंधी परेशानी दूर होती हैं । और प्रतियोगिताओं एवं वाद-विवाद में सफलताएं मिलती हैं ।
मीन राशि के महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ
मीन राशि के जातक को महामृत्युंजय मंत्र का नित्य जाप करने से मानसिक स्थिरता, संतान व शिक्षा संबंधी बाधाओं का निवारण होता हैं ।
महामृत्युंजय मंत्र जाप के फायदे
यदि आपका स्वास्थ हमेशा ही खराब रहता है तो नित्य महामृत्युंजय मंत्र जाप करने से आपको अवश्य लाभ होगा।
यदि जातक की कुंडली में मास, गोचर और दशा, अंतर्दशा, स्थूलदशा आदि में किसी भी प्रकार की कोई पीड़ा हो तो यह दोष महामृत्युंजय मंत्र जाप से दूर किये जा सकते हैं।
बीमारी या रोगों के कारण जब आपके जीवन में संकट वाली स्थिति आ जाये तो महामृत्युंजय मंत्र जाप करने या अनुष्ठान कराने से लाभ मिलता हैं।
जमीन जायदाद के बँटवारे की संभावना हो तो उस समय महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग ब्रह्मास्त्र का कार्य करता है।
जिन भी जातकों का बार बार एक्सीडेंट्स जैसी स्थिति बनती रहती हो तो उन जातकों रोजाना नित्य रूप से महामृत्युंजय मंत्र जाप करने से उनके जीवन में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते है।
जिस भी जातकों के घर में कलेश रहता हो, या पारिवारिक दुःख चल रहा हो, या घर में अकाल मृत्यु हो रही हो तो तब ऐसे में नित्य रोज सुबह शाम महामृत्युंजय मंत्र जाप किया जाये, तो पीड़ा जड़ से खत्म हो जाती है।
जिन जातकों को अनजाना सा डर या भय और फोबिया की समस्या हो ऐसे जातकों को महामृत्युंजय मंत्र जाप करना बहुत शुभकारी होता है।
यदि आपके जीवन में किसी भी कारण से धन की हानि हो रही है या आपका व्यवसाय नहीं चल पा रहा है तो नित्य महामृत्युंजय मंत्र जाप करने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
एक सफ़ेद कागज पर लाल पैन से महामृत्युंजय मंत्र लिखकर उसे एक दिन के लिए अपने पूजास्थल पर रख दें और फिर हमेशा वाहन चलाते समय इसे अपने ऊपर वाली जेब में रखें दुर्घटनाओं से हमेशा आपकी रक्षा होगी।
यह तो आप सब पहले से जानते है की हमारी आत्मा बार बार जन्म लेकर, दुःख भोगती है। यदि हम महामृत्युंजय मंत्र जाप निरंतर करते रहते हैं तो आत्मा इस आवागमन के दुःख से छूटते हुए, ब्रह्म शक्ति में लीन हो जाती है।
जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प योग होने से उनके जीवन में हमेशा संघर्ष रहता हो तो उनके लिए महामृत्युंजय मंत्र जाप अमृत तुल्य होता है।
जिन जातकों की कुंडली में चन्द्रमाँ पीड़ित या कमजोर होने पर जातक मानसिक समस्याओं पीड़ित रहता हो तो उसके लिए महामृत्युंजय मंत्र जाप बहुत शुभ परिणाम देने वाला होता है।
महामृत्युंजय मंत्र की ध्वनि से घर से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाएं दूर हो जाती हैं।
महामृत्युंजय मंत्र जाप
शास्त्रों में अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग संख्याओं में महामृत्युंजय मंत्र जाप का विधान है।
हम यंहा आपको किस कार्य के लिए कितनी संख्या में महामृत्युंजय मंत्र जाप करना चाहिए इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
- भय से छुटकारा पाने के लिए 1100 महामृत्युंजय मंत्र जाप किया जाता है।
- महामृत्युंजय मंत्र के एक लाख जप करने पर शरीर पवित्र हो जाता है।
- रोगों से मुक्ति के लिए 11000 महामृत्युंजय मंत्र जाप किया जाता है।
- महामृत्युंजय मंत्र के दो लाख मंत्र जप पूरे होने पर पूर्वजन्म की बातें याद आ जाती हैं।
- पुत्र की प्राप्ति के लिए, उन्नति के लिए, अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख की संख्या में महामृत्युंजय मंत्र जाप करना अनिवार्य है
- तीन लाख महामृत्युंजय मंत्र जाप करने से सभी मनचाही सुख-सुविधा और वस्तुएं मिल जाती है।
- चार लाख महामृत्युंजय मंत्र जाप पूरे होने पर भगवान शिव सपनों में दर्शन देते हैं ।
- मंत्रानुष्ठान के लिए शास्त्र के विधान का पालन करना परम आवश्यक है, अन्यथा लाभ के बदले हानि की संभावना अधिक रहती है।
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