हनुमान मंत्र मनोजवं मारुततुल्यवेगं

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
रामरक्षास्तोत्रम् 23

अर्थ: जिनका मन के समान गति और वायु के समान वेग है, जो परम जितेन्द्रिय और बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, उन पवनपुत्र वानरों में प्रमुख श्रीरामदूत की मैं शरण लेता हूं। कलियुग में हनुमानजी की भक्ति से बढ़कर किसी अन्य की भक्ति में शक्ति नहीं है। श्री रामदूत हम सभी आपके शरणागत है॥

रामरक्षा स्तोत्र से लिए गए हनुमानजी के प्रति शरणागत होने के लिए इस श्लोक या मंत्र का जप करने से हनुमान जी तुरंत ही साधक की याचना सुन लेते हैं और वे उनको अपनी शरण में ले लेते हैं।

जो व्यक्ति हनुमान जी का प्रतिदिन ध्यान करते रहते हैं, हनुमान जी उनकी बुद्धि से क्रोध को हटाकर बल का संचार कर देते हैं। हनुमान भक्त शांत चित्त, निर्भीक और समझदार बन जाता है।


हनुमान मंत्र मनोजवं मारुततुल्यवेगं,manojavam-marutatulyavegam.html
हनुमान मंत्र मनोजवं मारुततुल्यवेगं