चैत्र नवरात्रि 2024
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चैत्र नवरात्रि में शक्ति के लिए देवी आराधना की सुगमता का कारण मां की करुणा, दया, स्नेह का भाव किसी भी भक्त पर सहज ही हो जाता है।
ये कभी भी अपने बच्चे (भक्त) को किसी भी तरह से अक्षम या दुखी नहीं देख सकती है।
उनका आशीर्वाद भी इस तरह मिलता है, जिससे साधक को किसी अन्य की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
वह स्वयं सर्वशक्तिमान हो जाता है। इन सब की साधना से साधक देव तुल्य हो जाता है।
सहस्त्रनाम में देवी के एक हजार नामों की सूची है।
इसमें उनके गुण हैं व कार्य के अनुसार नाम दिए गए हैं। सहस्त्रनाम के पाठ करने का फल भी महत्वपूर्ण है।
उनका आशीर्वाद भी इस तरह मिलता है, जिससे साधक को किसी अन्य की सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
वह स्वयं सर्वशक्तिमान हो जाता है। इन सब की साधना से साधक देव तुल्य हो जाता है।
सहस्त्रनाम में देवी के एक हजार नामों की सूची है।
इसमें उनके गुण हैं व कार्य के अनुसार नाम दिए गए हैं। सहस्त्रनाम के पाठ करने का फल भी महत्वपूर्ण है।
चैत्र नवरात्रि अर्थात् शक्ति स्वरूप मां के नौ रूपों के पूजन के नौ विशेष दिन, वैसे तो नवरात्रि साल में दो बार आती हैं लेकिन चैत्र मास में पड़ने वाली नवरात्रि का पहला दिन जिसे ‘गुड़ीपड़वा’ के नाम से भी जाना जाता है भारतीय नववर्ष का पहला दिन भी होता है।
अंग्रेजी नव वर्ष के विपरीत भारतीय काल गणना के अनुसार नव वर्ष अथवा नव सम्वत्सर ‘समझने के हिसाब से एक सरल प्रक्रिया’ न होकर सूर्य चन्द्रमा तथा नक्षत्रों तीनों के समन्वय पर अनेकों ॠषियों के वैज्ञानिक अनुसंधानों पर आधारित है।
यह 6 ॠतुओं ( भारत वह सौभाग्यशाली देश है जहाँ हम सभी 6 ॠतुओं को अनुभव कर सकते हैं ) के एक चक्र के पूर्ण होने का वह दिन होता जिस दिन पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूर्ण करती है।
इस दिन की सबसे खास बात यह है कि इस दिन, दिन व रात बराबर के होते हैं अर्थात् 12 -12 घंटे के।
इसके बाद से रात्रि की अपेक्षा दिन बड़े होने लगते हैं तथा दिन व रात के माप में अन्तर आने लगता है।
यह 6 ॠतुओं ( भारत वह सौभाग्यशाली देश है जहाँ हम सभी 6 ॠतुओं को अनुभव कर सकते हैं ) के एक चक्र के पूर्ण होने का वह दिन होता जिस दिन पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूर्ण करती है।
इस दिन की सबसे खास बात यह है कि इस दिन, दिन व रात बराबर के होते हैं अर्थात् 12 -12 घंटे के।
इसके बाद से रात्रि की अपेक्षा दिन बड़े होने लगते हैं तथा दिन व रात के माप में अन्तर आने लगता है।
यह केवल एक नए महीने की एक नई तारीख़ न होकर पृथ्वी के एक चक्र को पूर्ण कर एक नए सफर का आरंभ काल है।
यह वह समय है जब सम्पूर्ण प्रकृति पृथ्वी को इस नए सफर के लिए शुभकामनाएं दे रही होती है।
जब नए फूलों और पत्तियों से पेड़ पौधे इठला रहे होते हैं , जब मनुष्य को उसके द्वारा साल भर की गई मेहनत का फल लहलहाती फसलों के रूप में मिल चुका होता है ( होली पर फसलें कटती हैं ) और पुनः एक नई शुरुआत की प्रेरणा प्रकृति से मिल रही होती है।
यह वह समय होता है जब मनुष्य मात्र ही नहीं प्रकृति भी नए साल का स्वागत कर रही होती है।
धरती हरी भरी चादर और बगीचे लाल गुलाबी चुनरी ओड़े सम्पूर्ण वातावरण में एक नयेपन का एहसास करा रही होती है।
यह वह समय है जब सम्पूर्ण प्रकृति पृथ्वी को इस नए सफर के लिए शुभकामनाएं दे रही होती है।
जब नए फूलों और पत्तियों से पेड़ पौधे इठला रहे होते हैं , जब मनुष्य को उसके द्वारा साल भर की गई मेहनत का फल लहलहाती फसलों के रूप में मिल चुका होता है ( होली पर फसलें कटती हैं ) और पुनः एक नई शुरुआत की प्रेरणा प्रकृति से मिल रही होती है।
यह वह समय होता है जब मनुष्य मात्र ही नहीं प्रकृति भी नए साल का स्वागत कर रही होती है।
धरती हरी भरी चादर और बगीचे लाल गुलाबी चुनरी ओड़े सम्पूर्ण वातावरण में एक नयेपन का एहसास करा रही होती है।
चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गां के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है, देवी के ये रूप शास्त्रों में इस श्लोक द्वारा उल्लेखित हैं
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।
प्रथम नवरात्री पूजन माता शैलपुत्री 1st Navratri Puja Mata Shailputri
मां दुर्गा पहले स्वरूप में ‘शैलपुत्री‘ के नाम से जानी जाती हैं| ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं|
पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा|
इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं|
इनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है|
यही सती के नाम से भी जानी जाती हैं|
पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा|
इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं|
इनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है|
यही सती के नाम से भी जानी जाती हैं|
माँ शैलपुत्री का मंत्र Mata Shailputri Mantra
वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥

दूसरा नवरात्री पूजन मां ब्रह्मचारिणी 2nd Second Navratri Puja Mata Brahmacharini
नवरात्रि पर्व के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है|
ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली|
इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली|
इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी|
इस कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है|
ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली|
इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली|
इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी|
इस कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है|
ब्रह्मचारिणी माता का मंत्र Maa Brahmacharini Mantra
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

तृत्य नवरात्री पूजन माता चंद्रघंटा 3rd Navratri Puja Mata Chandraghanta
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है| नवरात्रि में तीसरे दिन इनकी पूजा होती है|
इनके मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है जिससे इनका यह नाम पड़ा|
इनके दस हाथ हैं जिनमें वह अस्त्र-शस्त्र लिए हैं| हालांकि देवी का यह रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है|
इनके मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है जिससे इनका यह नाम पड़ा|
इनके दस हाथ हैं जिनमें वह अस्त्र-शस्त्र लिए हैं| हालांकि देवी का यह रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है|
माँ चंद्रघंटा मंत्र Maa Chandraghanta Mantra
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

चतुर्थ नवरात्री पूजन माता कूष्माण्डा 4th Navratri Puja Maa Kushmanda
नवरात्रि पूजन के चौथे दिन देवी के कूष्माण्डा स्वरूप की ही उपासना की जाती है|
मान्यता है कि उन्होंने अपनी हल्की हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था| इनकी आठ भुजाएं हैं|
अपने सात हाथों में वह कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा लिए हैं|
उनके आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है|
अपने सात हाथों में वह कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा लिए हैं|
उनके आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है|
माँ कुष्मांडा का मंत्र Maa Kushmanda Mantra
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे॥

पांचवा नवरात्री पूजा स्कंदमाता 5th Navratri Puja Maa Skandmata
नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता की पूजा का दिन होता है| माना जाता है कि इनकी कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी हो जाता है|
स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से जाना जाता है|
यह कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं| इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है| इनका वाहन सिंह है |
स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से जाना जाता है|
यह कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं| इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है| इनका वाहन सिंह है |
माँ स्कंदमाता पूजन मंत्र है Maa Skandamata Mantra
सिंहसन गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥

छठा नवरात्री पूजा कात्यायनी 6th Navratri Puja Maa Katyayani
मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है| इनकी उपासना से भक्तों को आसानी से अर्थ (धन), धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है|
महर्षि कात्यायन ने पुत्री प्राप्ति की इच्छा से मां भगवती की कठिन तपस्या की| तब देवी ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया|
जिससे इनका यह नाम पड़ा| भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने कालिंदी यमुना के तट पर इनकी पूजा की थी|
अच्छे पति की कामना से कुंवारी लड़कियां इनका व्रत रखती हैं|
मां कात्यायनी का पूजन मंत्र है Maa Katyayani Mantra
चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥

सातवां नवरात्री पूजा माँ कालरात्रि 7th Navratri Puja Maa Kaalratri
दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है|
कालरात्रि की पूजा करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुल जाते हैं और सभी असुरी शक्तियों का नाश होता है|
देवी के नाम से ही पता चलता है कि इनका रूप भयानक है| इनके तीन नेत्र और शरीर का रंग एकदम काला है| इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाते हैं|
कालरात्रि की पूजा करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुल जाते हैं और सभी असुरी शक्तियों का नाश होता है|
देवी के नाम से ही पता चलता है कि इनका रूप भयानक है| इनके तीन नेत्र और शरीर का रंग एकदम काला है| इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाते हैं|
माँ कालरात्रि पूजन मंत्र है Maa Kalratri Mantra
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णीतैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

आंठवा नवरात्री पूजा माँ महागौरी 8th Navratri Puja Maa Mahagauri
मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है| इनकी आयु आठ साल की मानी गई है|
इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद होने की वजह से इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है|
कहते हैं कि शिव को पति रूप में पाने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी|
इस कारण इनका शरीर काला पड़ गया| लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने इनके शरीर को गंगा जल से धोकर कांतिमय बना दिया|
तब से मां महागौरी कहलाईं| इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है|
इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद होने की वजह से इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है|
कहते हैं कि शिव को पति रूप में पाने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी|
इस कारण इनका शरीर काला पड़ गया| लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने इनके शरीर को गंगा जल से धोकर कांतिमय बना दिया|
तब से मां महागौरी कहलाईं| इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है|
माँ महागौरी पूजन मंत्र Maa Mahagauri Mantra
श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥

नवां नवरात्री पूजा माँ सिद्धिदात्री 9th Navratri Puja Maa Siddhidatri
नवरात्रि पूजन के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है| इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वालों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है|
भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री की कृपा से ये सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं| इनकी कृपा से ही महादेव का आधा शरीर देवी का हुआ था और वह अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए|
भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री की कृपा से ये सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं| इनकी कृपा से ही महादेव का आधा शरीर देवी का हुआ था और वह अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए|
इनकी साधना से सभी मनोकामनाएं की पूरी हो जाती हैं|
माँ सिद्धिदात्री मंत्र Maa Siddhidatri Mantra
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

चैत्र नवरात्रि 2024 तीथि
चैत्र नवरात्रि दिन | देवी माँ की पूजा | चैत्र नवरात्रि तीथि |
1st नवरात्रि दिन | माँ शैलपुत्री पूजा | मंगलबार 9 अप्रैल 2024 |
2nd नवरात्रि दिन | माँ ब्रह्मचारिणी पूजा | बुधवार, 10 अप्रैल 2024 |
3rd नवरात्रि दिन | माँ चंद्रघंटा पूजा | गुरुवार, 11 अप्रैल 2024 |
4th नवरात्रि दिन | माँ कुष्मांडा पूजा | शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024 |
5th नवरात्रि दिन | माँ स्कंदमाता पूजा | शनिवार, 13 अप्रैल 2024 |
6th नवरात्रि दिन | माँ कात्यायनी पूजा | रविवार, 14 अप्रैल 2024 |
7th नवरात्रि दिन | माँ कालरात्रि पूजा | सोमवार, 15 अप्रैल 2024 |
8th नवरात्रि दिन | माँ महागौरी पूजा | मंगलवार, 16 अप्रैल 2024 |
9th नवरात्रि दिन | माँ सिद्धिदात्री पूजा | बुधवार, 17 अप्रैल 2024 |

FAQs
चैत्र नवरात्रि 2024 की तारीख क्या है ?
चैत्र नवरात्री का पहला दिन मंगलबार 9 अप्रैल 2024 है और चैत्र नवरात्रि (नवमी) बुधवार, 17 अप्रैल 2024 को है
इस बार नवरात्रे कितने है ?
9
राम नवमी 2024 कब है?
बुधवार, 17 अप्रैल 2024