शिव रुद्राभिषेक पूजा विधि

रुद्राभिषेक कैसे करें और इसका क्या लाभ होता है  

 
शिव रुद्राभिषेक ( Shiv Rudrabhishek )  भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी उपाय है। रुद्र अर्थात भूतभावन शिव का अभिषेक। रुद्र भगवान शिव का ही प्रचंड रूप हैं ।
 
शिव कृपा से आपकी सभी मनोकामना जरूर पूरी होंगी तो आपके मन में जैसी कामना हो वैसा ही रुद्राभिषेक करिए और अपने जीवन को शुभ ओर मंगलमय बनाइए.
 
 शिव को ही ‘रुद्र’ कहा जाता है, क्योंकि रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानी भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं।
 
 
रुद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा हैं। 
 
वेदों और पुराणों में शिव रुद्राभिषेक के बारे में कहा गया है कि रावण ने अपने दसों सिरों को काटकर उसके रक्त से शिवलिंग का अभिषेक किया था तथा सिरों को हवन की अग्नि को अर्पित कर दिया था जिससे वो त्रिलोकजयी हो गया।
 
भस्मासुर ने शिवलिंग का अभिषेक अपनी आंखों के आंसुओं से किया तो वह भी भगवान के वरदान का पात्र बन गया।
 
कालसर्प योग, गृहक्लेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यों की बाधाओं को दूर करने के लिए शिव रुद्राभिषेक आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है।
 
 
ज्योतिर्लिंग क्षेत्र एवं तीर्थस्थान तथा शिवरात्रि प्रदोष, श्रावण के सोमवार आदि पर्वों में शिववास का विचार किए बिना भी शिव रुद्राभिषेक किया जा सकता है। 
 
वस्तुत: शिवलिंग का अभिषेक आशुतोष शिव को शीघ्र प्रसन्न करके साधक को उनका कृपापात्र बना देता है और उनकी सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं। अत: हम यह कह सकते हैं कि रुद्राभिषेक से मनुष्य के सारे पाप-ताप धुल जाते हैं।
 
 विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों में मंत्र, गोदुग्ध या अन्य दूध मिलाकर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। रुद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का पाठ करते हैं.

 

शिव रुद्राभिषेक किस चीज से करें ?

शिव रुद्राभिषेक पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सबको मिलाकर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है।
 
तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है। इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत अभिषेक करने पर अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है।
 

शिव रुद्राभिषेक मंत्र  Shiv Rudrabhishek Mantra

शिव रुद्राभिषेक मंत्र शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के सभी मुख्य आठों अध्यायों में दिए गए मन्त्रों से किया जाना चाहिए परन्तु यदि आप खुद ही आसान विधि से रुद्राभिषेक करना चाहते है तो निचे लिखे और रुद्राभिषेक मंत्र से आप भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते है |

ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥

ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय्‌ ॥

तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥

वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥

सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्‌भवाय नमः ॥

नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥

यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥

सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥

विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥

रुद्राष्टाध्यायी में कुल कुल दस अध्याय हैं, जिनका पाठ रुद्राभिषेक के समय किया जाता है। इनमें भी आठ अध्याय प्रमुख हैं, जिनके आधार पर ही इसको रुद्राष्टाध्ययी कहा गया है।

आठवां अध्याय सबसे अधिक महत्वपूर्ण है जिसे ‘नमक चमक’ के नाम से भी जाना जाता है।

नमक चमक का पाठ बहुत महत्वपूर्ण है और इसके पाठ से भगवान शिव आप से शीघ्र अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

रुद्राष्टाध्यायी यजुर्वेद का एक अंग माना गया है।

भगवान शिव को समर्पित और उनकी महिमा का गुणगान करने वाले इस शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी में कुल दस अध्याय हैं |

लेकिन मुख्य आठ अध्यायों में भगवान शिव की समस्त महिमा और कृपा शक्ति के बारे में बताया गया है और उनका गुणगान किया गया है।

इसलिए इन आठ अध्यायों के आधार पर ही इसे अष्टाध्यायी कहा जाता है।

भगवान शिव की भक्ति करने से समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और दुखों का निवारण होता है।

रुद्राभिषेक करते समय समस्त दसों अध्यायों का पाठ करना चाहिए।

रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव की पूजा करते समय शिवलिंग पर दुग्ध, घी, शुद्ध जल, गंगाजल, शक्कर, गन्ने का रस, बूरा, पंचामृत, शहद, आदि का उपयोग करते हुए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना चाहिए:

रुद्रा: पञ्चविधाः प्रोक्ता देशिकैरुत्तरोतरं | सांगस्तवाद्यो रूपकाख्य: सशीर्षो
रूद्र उच्च्यते|| एकादशगुणैस्तद्वद् रुद्रौ संज्ञो द्वितीयकः । एकदशभिरेता भिस्तृतीयो लघु रुद्रकः।।

रुद्राभिषेक मंत्र से पूजा करते समय उपरोक्त वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए और शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए तथा उपरोक्त मंत्रों का जाप करने के बाद शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करें और रुद्राष्टाध्यायी का पंचम और अष्टम अध्याय का पाठ अवश्य करें।

 

शिव रुद्राभिषेक का फल बहुत ही शीघ्र प्राप्त होता है। 

 
शिव रुद्राभिषेक के लिए शिव जी की उपस्थिति देखना बहुत जरूरी है । शिव जी का निवास देखे बिना कभी भी रुद्राभिषेक न करें, बुरा प्रभाव होता है । शिव जी का निवास कब मंगलकारी होता है?
 
देवों के देव महादेव ब्रह्माण्ड में घूमते रहते हैं. महादेव कभी मां गौरी के साथ होते हैं तो कभी-कभी कैलाश पर विराजते हैं. ज्योतिषाचार्याओं की मानें तो रुद्राभिषेक तभी करना चाहिए जब शिव जी का निवास मंगलकारी हो…

  • हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी को शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं.
  • – हर महीने कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और अमावस्या को भी शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं.
  • – कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और एकादशी को महादेव कैलाश पर वास करते हैं. 
  • – शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि को भी महादेव कैलाश पर ही रहते हैं. 
  • – कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी को शिव जी नंदी पर सवार होकर पूरा विश्व भ्रमण करते हैं.
  • – शुक्ल पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तिथि को भी शिव जी विश्व भ्रमण पर होते हैं.
  • – रुद्राभिषेक के लिए इन तिथियों में महादेव का निवास मंगलकारी होता है.   
 
 

शिव रुद्राभिषेक से होने वाले लाभ  Shiv Rudrabhishek Benefits in hindi

 
आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु शिव रुद्राभिषेक करा रहे हैं उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए इसका उल्लेख शिव पुराण में किया गया है। वहीं से उद्धृत कर हम आपको यहां जानकारी दे रहे हैं-
 
यदि वर्षा चाहते हैं तो जल से शिव रुद्राभिषेक करें।
 
– रोग और दुःख से छुटकारा चाहते हैं तो कुशा जल से अभिषेक करना चाहिए।
 
– मकान, वाहन या पशु आदि की इच्छा है तो दही से अभिषेक करें।
 
लक्ष्मी प्राप्ति और कर्ज से छुटकारा पाने के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करें।
 
– धन में वृद्धि के लिए जल में शहद डालकर अभिषेक करें।
 
मोक्ष की प्राप्ति के लिए तीर्थ से लाये गये जल से अभिषेक करें।
 
– बीमारी को नष्ट करने के लिए जल में इत्र मिला कर अभिषेक करें।
 
– पुत्र प्राप्ति, रोग शांति तथा मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए गाय के दुग्ध से अभिषेक करें।
 
– ज्वर ठीक करने के लिए गंगाजल से अभिषेक करें।
 
– सद्बुद्धि और ज्ञानवर्धन के लिए दुग्ध में चीनी मिलाकर अभिषेक करें।
 
– वंश वृद्धि के लिए घी से अभिषेक करना चाहिए।
 
– शत्रु नाश के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करें।
 
– पापों से मुक्ति चाहते हैं तो शुद्ध शहद से शिव रुद्राभिषेक करें।

शिव रुद्राभिषेक पूजा विधि
शिव रुद्राभिषेक पूजा विधि

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FAQ’S

  1. रुद्राभिषेक कितने समय में सम्पन होता है?

    रुद्राभिषेक चार घंटे में सम्पन होता है

  2. रुद्राभिषेक में कौन से दिन करना चाहिए?

    रुद्राभिषेक सावन के महीने में करना शुभ माना जाता है

  3. सावन 2023 कब से शुरू है

    2023 सावन मास इस साल अधिक मास के कारण दो माह का होगा। इसलिए इस साल सावन 4 जुलाई 2023 से शुरू हो रहे हैं, जो 31 अगस्त 2023 को समाप्त होंगे।


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