इस व्रत को संकट चौथ और तिलकुटा पर्व के नाम से भी जाना जाता है।
संकट चौथ के दिन गौरी पुत्र गणेश जी की पूजा करना फलदायी माना जाता है।
इस दिन माताएं अपनी संतान की सुखी, स्वस्थ और दीर्घायु की कामना के लिए निर्जला व्रत कर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करती हैं।
संकट चौथ के दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना करने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है| और संतान संबंधी सभी समस्याओं का निवारण होता है। इस बार सकट चौथ का पावन पर्व 29 जनवरी 2024 सोमवार को है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन शाम को सकट चौथ की कथा सुन चंद्रदेव को अर्घ्य देने से संतान के जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है।
किसी नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार जब उसने बर्तन बनाकर आंवां लगाया तो आंवां नहीं पका।
परेशान होकर वह राजा के पास गया और बोला कि महाराज न जाने क्या कारण है कि आंवां पक ही नहीं रहा है।
राजा ने राजपंडित को बुलाकर कारण पूछा। राजपंडित ने कहा, ”हर बार आंवां लगाते समय एक बच्चे की बलि देने से आंवां पक जाएगा।
राजा ने आदेश दे दिया। बलि आरम्भ हुई। जिस परिवार की बारी होती, वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता।
इस तरह कुछ दिनों बाद एक बुढि़या के लड़के की बारी आई। बुढि़या के एक ही बेटा था तथा उसके जीवन का सहारा था, पर राजकी आज्ञा को कोई टाल नहीं सकता था|
बुढ़िया सोचने लगी, “मेरा एक ही बेटा है, वह भी संकट चौथ के दिन मुझ से जुदा हो जाएगा।
तभी उसको एक उपाय सूझा। उसने लड़के को सकट की सुपारी तथा दूब का बीड़ा देकर कहा, भगवान का नाम लेकर आंवां में बैठ जाना। संकट माता तेरी रक्षा करेंगी।
संकट के दिन बालक आंवां में बिठा दिया गया और बुढि़या संकट माता के सामने बैठकर पूजा प्रार्थना करने लगी।
पहले तो आंवां पकने में कई दिन लग जाते थे, पर इस बार संकट माता की कृपा से एक ही रात में आंवां पक गया। सवेरे कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया।
आंवां पक गया था और बुढ़िया का बेटा जीवित व सुरक्षित था। संकट माता की कृपा से नगर के अन्य बालक भी जी उठे।
यह देख नगरवासियों ने माता संकट की महिमा स्वीकार कर ली। तब से आज तक संकट माता की पूजा और व्रत का विधान चला आ रहा है। इस व्रत के करने से भगवान गणेश बहुत प्रसन्न होते हैं।
संकट चौथ व्रत विधि
Table of Contents
- सुबह स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहने|
- गणेशजी की प्रतिमा एक चौकी पर स्थापित कर दें।
- चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछा दें।
- गणेशजी की प्रतिमा पर गंगाजल छिड़क कर उनकी पूजा शूरू करें।
- गणेश जी को रोली,और फूल चढ़ाएं।
- फिर पान, सुपारी और लड्डू का भोग लगाएं।
- इसके बाद देसी घी का दीप जलाकर उनकी पूजा करें
- फिर गणेश जी की आरती करे|
- संकट चौथ के दिन कुछ घरों में तिल और गुड़ का का भोग लगाया जाता है|
- इस दिन महिलाएं समूह में एकत्र होकर भगवान गणेश की कथा भी सुनाती हैं।
यहाँ एक विस्तृत तालिका है जो संकट चौथ 2024 के बारे में है:
त्योहार का नाम | संकट चौथ |
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तारीख | 29 January 2024 |
अल्टरनेट नाम | संकष्टी चतुर्थी, संकट चतुर्थी |
महत्व | शादीशुदा महिलाओं द्वारा पतिके भलाई और दीर्घायु के लिए दिन-रात उपवास किया जाने वाला |
चाँद्र मास | माघ (कृष्ण पक्ष चतुर्थी) |
अवधि | दिन-रात उपवास और प्रार्थना अनुष्ठान |
उपवास की अवधि | सूर्योदय से चाँद्रोदय तक (पूर्ण उपवास) |
प्रात: पूजा | भगवान गणेश और भगवान शिव की पूजा, पतिके भलाई के लिए प्रार्थना |
पूजा की तैयारी | घरों की सफाई, भगवान की मूर्तियों के लिए पवित्र स्थल तैयार करना |
व्रत कथा | संकट चौथ के महत्व और इसके अनुष्ठानों का मार्गदर्शन करने वाली कथाएं |
पारंपरिक प्रसाद | फूल, धूप, फल, मिठाई और अन्य वस्त्र |
उपवास तोड़ना | उपवास करने वाली महिलाएं अक्सर चाँद को देखकर तोड़ती हैं और फिर खाना खाती हैं |
चाँद का दर्शन | उपवास तोड़ने के लिए चाँद के उदय का समय महत्वपूर्ण होता है |
क्षेत्रीय विविधताएँ | क्षेत्रों के बीच आचारण में भिन्नता हो सकता है |
पॉपुलर क्षेत्र | भारत के विभिन्न हिन्दू महिलाएं इसे उचित भक्ति और समर्पण के साथ अनुसरण करती हैं |
उद्देश्य | पतिके भलाई, दीर्घायुता, और खुशी की सुनिश्चित करने के लिए |
अनुष्ठानिक योग्यता | विवाहित जीवन में संकट और आपत्तियों को दूर करने का विश्वास है |
परिवारी भागीदारी | अक्सर अन्य परिवारी सदस्यों की भागीदारी के साथ एक परिवारी विशेष होता है |
सांस्कृतिक महत्व | पति और पत्नी के बीच मजबूत बंधन का प्रतिबिम्ब करता है |
भक्ति की पहलू | प्रार्थना, ध्यान, और चिंतन के दिन |
सार्वजनिक अवकाश | सार्वजनिक अवकाश नहीं है, घरों और समुदायों में मनाया जाता है |
संकट चौथ हिन्दू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण उपवास दिन है, विशेष रूप से शादीशुदा महिलाएं इसे अपने पतिके भलाई और खुशी के सुनिश्चित करने के लिए भक्ति के साथ अनुसरण करती हैं।

FAQ’S
संकट चौथ व्रत में क्या खाना चाहिए?
संकट चौथ व्रत में निर्जल व्रत करना चाहिए . रात को चाँद को अरग देखकर , गणेश जी की पूजा करे |
संकट चौथ व्रत में क्या नहीं करना चाहिए?
गणेश जी को तुलसी नहीं चांदनी चाहिए और व्रत के दिन प्यार लहसुन नहीं खाना चाहिए|
संकट चतुर्थी व्रत क्यों रखा जाता है?
यह व्रत अपने बचे की लम्बी उम्र और मंगल कामना के लिए रखा जाता है|