सावन का महीना हो, सोमवार हो, महाशिवरात्रि हो या फिर महादेव की पूजा हो श्रद्धालु महादेव जी को को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर गंगाजल के साथ-साथ बेलपत्र भी चढ़ाते है | बेलपत्र को संस्कृत भाषा में ‘बिल्वपत्र’ भी कहा जाता है
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है और यह बेलपत्र चढ़ाये बिना अधूरी है | बिल्वाष्टक और शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है।
धर्म और शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देव है | महादेव को भोग विलास की चीज़े पसंद नहीं | महादेव एक लोट्टा जल चढ़ाने से भी प्रसन्न हो जाते है | महादेव की पूजा में उनकी प्रिय चीजों को चढ़ाने से वह खुश हो जाते हैं।
भगवान शिव को जल, बेलपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प प्रिय हैं लेकिन सबसे ज्यादा महत्व बेलपत्र का होता है।
बेल के पेड़ की पत्तियों का शिव पूजन में बहुत ही अधिक महत्व है।
बिल्व के पेड़ की पत्तियां एक साथ 3 की संख्या में जुड़ी होती हैं और इसे 1 ही पत्ती माना जाता है। बिना बेलपत्र के शिव जी की उपासना पूरी नहीं होती है।
शास्त्रों में महादेव को बेलपत्र आर्पित करने की एक विधि बताई गयी है। शिवलिंग पूजा में किस विधि से बेलपत्र चढ़ाया जाना चाहिए इसको निचे विस्तार से बताया गया है ।
कैसा होना चाहिए बेलपत्र और इसे शिवलिंग पर कैसे चढ़ाया जाना चाहिए ?
- बेल पत्र के तीनो पत्ते त्रिनेत्रस्वरूप् भगवान शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं। इसलिए ध्यान रहे कि एक बेलपत्र में 3 पत्तियां होनी चाहिए। तीनों पत्तियों को 1 ही माना जाता है।
- अगर आप शिवलिंग पूजा के दौरान बेलपत्र चढ़ाती हैं तो इससे भगवान शिव खुश होंगे और आपकी मनोकामना पूरी करेंगे।’ मगर, बहुत जरूरी है कि बेलपत्र चढ़ाने से पहले आप जान लें कि बेलपत्र कैसा होना चाहिए और कैसे चढ़ाया जाना चाहिए।
- बेलपत्र और जल चढ़ाने से भगवान शंकर का मस्तिष्क ठंडा रहता है और वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं
- इस बात का भी ध्यान रखें कि बेल की पत्तियां कटी फटी न हों। बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए। ऐसा पत्तियों को खंडित माना गया है। हालाकि 3 पत्तियां आपस में मिल पाना मुश्किल होता है। मगर, यह मिल जाती हैं।
- महादेव को बेलपत्र हमेशा उल्टा अर्पित करना चाहिए, यानी पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग के ऊपर रहना चाहिए |
अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुन: पुन:।
शंकरायार्पणीयानि न नवानि यदि क्वचित्।। (स्कंदपुराण)
स्कंदपुराण में बेलपत्र के महत्व के बारे में बताया गया है। ऐसा कहा गया है कि यदि बेलपत्र के साथ शिवलिंग की पूजा की जाए तो सभी पापों का नाश होता है।
- अगर आपको बेलपत्र नहीं मिल रहा तो आप किसी के चढ़ाये हुए बेलपत्र को पानी से धोकर फिर से शिवलिंग पर चढ़ा सकते है ।
- बेलपत्र की पत्ती के डंठल तोड़ कर पत्ती को चढ़ाना चाहिए | बेलपत्ती के डंठल इंद्रा के वज्र के समान कष्टदायक है
- शिवलिंग पर बिना जल के बेलपत्र न चढ़ाएं | बेलपत्र चढ़ाने के बाद शिवलिंग पर जल जरूर चढ़ाये ।
- बेलपत्र 3 से लेकर 11 दलों तक के होते हैं। ये जितने अधिक पत्र के हों, उतने ही उत्तम माने जाते हैं।
एक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती को बहुत पसीना आ रहा था। तब उन्होंने अपनी उंगलियों से माथे के पसीने को साफ किया और इससे पसीने की कुछ बूंदे मंदार पर्वत पर जा गिरी | उन्हीं बूंदों से बेल पत्र का पेड़ उत्पन्न हुआ। बेलपत्र का महत्व यही खत्म नहीं होता है।
- बेलपत्र बहुत ही पवित्र होता पत्ता है। इसमें मां पार्वती के कई रूपों का वास है।
- इस वृक्ष की जड़ों में माँ गिरिजा, तने में मां महेश्वरी, इसकी शाखाओं में मांं दक्षयायनी, बेल पत्र की पत्तियों में माँ पार्वती, इसके फूलों में मांं गौरी और बेल पत्र के फलों में माँ कात्यायनी का वास हैं। इतना ही नहीं इसमें माता लक्ष्मी का भी वास होता है।
- अगर आप घर में बेल का पेड़ लगाती हैं तो इससे माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं और घर में वैभव आता है।
बेलपत्र के पत्ते कब नहीं तोड़ना चाहिए ?
चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेलपत्र न तोड़ें और न ही चढ़ाये बेलपत्र भगवान शंकर को बहुत प्रिय है, इसलिए इन तिथियों या वार से पहले तोड़ा गया पत्र चढ़ाना चाहिए |
बेलपत्र चढ़ाने के लाभ
- इसका सबसे बड़ा लाभ होता है कि भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं।
- वहीं बेलपत्र चढ़ाने से सुख के साथ घर में वैभव और धन भी आता है। यानि आपको कभी भी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता।
- अगर आप पुण्य कमाना चाहती हैं तो आपको बेल के पत्तियों में ॐ नम: शिवाय या राम राम लिखकर उसे भगवान भोलेनाथ पर अर्पित करना चाहिए।
- शास्त्रों के अनुसार आप रविवार के दिन अगर बेलपत्र की पूजा करते हैं तो आपके सारे पाप धुल जाते हैं।
- भोलेनाथ के प्रिय कुबेर जी को अक्षय तृतीया को बेलपत्र चढ़ा कर उनकी पूजा करोगे तो पीढि़यों तक आपके घर में धन की कभी कमी नहीं होगी।
- सोमवार के दिन शाम 7 बजे के बाद आप बेलपत्र के पेड़ के निचे दीप जलाएं | मान्यता है की शाम के समय धन के राजा इस पेड़ में वास होता है | ऐसा करने से धन की कमी नहीं रहती |

FAQs
बेलपत्र को शिवलिंग पर कैसे चढ़ाया जाता है?
बेलपत्र भगवान शिव को हमेशा उल्टा चढ़ाया जाता है
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र क्या है?
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय 'त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥ मंत्र का जाप करना चाहिए
बेल के पत्तों के क्या फायदे हैं?
बिल्व के पत्ते शरीर में मधुमेह की बीमारी को नियंत्रित रखने में मदद करते है