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श्री हनुमत प्रोक्ता मन्त्रराजात्मक रामस्तव स्तोत्र
श्री हनुमत प्रोक्ता मन्त्रराजात्मक रामस्तव स्तोत्र तिरश्चामपि चारातिसमवायं समेयुषाम् ।