सूर्य स्तोत्र Surya Stotram
प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यंरूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषी ।
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यचिन्त्यरूपम् ।।1।।
प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाऽमनोभि ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैनतमर्चितं च।
वृष्टि प्रमोचन विनिग्रह हेतुभूतं त्रैलोक्य पालनपरंत्रिगुणात्मकं च।।2।।
प्रातर्भजामि सवितारमनन्तशक्तिं पापौघशत्रुभयरोगहरं परं चं।
तं सर्वलोककनाकात्मककालमूर्ति गोकण्ठबंधन विमोचनमादिदेवम् ।।3।।
ॐ चित्रं देवानामुदगादनीकं चक्षुर्मित्रस्य वरुणस्याग्ने:।
आप्रा धावाप्रथिवी अन्तरिक्षं सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्र्व ।।4।।
सूर्यो देवीमुषसं रोचमानां मत्योन योषामभ्येति पश्र्वात् ।
यत्रा नरो देवयन्तो युगानि वितन्वते प्रति भद्राय भद्रम् ।।5।।
सूर्य स्तोत्र के लाभ
- सूर्य स्तोत्र का पाठ करने मनुष्य में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है
- सूर्य स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य को हर काम में सफलता मिलती है
- इस पाठ को करने से व्यापर में वृद्धि होती है
- यह पाठ रविवार के दिन करना शुभ माना जाता है
- सूर्य देव को ग्रहो का राजा माना जाता है
- इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य को सूर्य के सामान तेज प्राप्त होता है
सूर्य स्तोत्र का पाठ की विधि
- सुरोद्या से पहले उठाकर स्नान कर ले
- ताम्बे के लोटे में जल भरकर सूर्य देव को चढ़ाये
- सूर्य देव को जल चढ़ाते समय ॐ सूर्य देवाये नमः का जाप करे
- जाप के बाद सूर्य देव के सामने बैठकर सूर्य स्तोत्र का पाठ करे

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FAQ’S
सूर्य देव को जल में क्या डालकर चढ़ाना चाहिए ?
सूर्य देव को ताम्बे के लोटे में जल डालकर उसमे पुष्प डालकर चढ़ाना चाहिए
सूर्य देव को जल कितने बजे चढ़ाना चाहिए ?
सूर्य देव को जल सुरोद्या होने के 3-4 घंटे तक जल चढ़ा सकते है