उमापति महेश्वरम नमामि शिव
नमो भूत भूतनाथ नन्दीश्वर श्री हरे,बहत गंग शिरपरे, जटा उतंग फरफरे,
हिमालये उमा सहित, शोभितं निरन्तरं,उमापति महेश्वरम, नमामि शिव शंकरम।।
त्रिताप पाप क्षारणं, प्रभाय धर्म धारणम,समस्त सृष्टि धारणम, मांगल्य मृत्यु कारणम,
अगम अनादि आशुतोष, धुर्जटी धुरंधरम,उमापति महेश्वरम, नमामि शिव शंकरम।।
भले भभूत रंग में, रहत मस्त भंग में,श्मशानघाट वासिनी भुत प्रेत संग में
करंत हस्त घोरनाद, डमरू डडंकरम,उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम।।
गले भुजंग मुण्डमाल भाल चंद शोभितंम,मयंक भग्य दर्शकात्, भक्त चित लोभितंम,
आनंदकंद ध्यान मस्त, ॐकार उच्चरम,उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम।
धरि त्रिशूल हाथ नाथ, दक्ष यज्ञ खंडितम,रेमंड घोर गर्गरम तान्डव नृत्य मण्डितम,
देवाधिदेव दिव्य भव्य भासकम भयंकरम,उमा पति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम।।
अजर अमर त्रिपुर हरम, करम त्रिशूल धारणम,संसार पाश नाशनम भव व्याधि पार तारणम
भजंत सर्व शिव हरे सुरासुरम धुरंधरम,उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम।।
सोमेश्वरा,नागेश्वरा, श्रीमल्लिकार्जुनेश्वरामहाकालं ममलेश्वरा धुश्मेशरा,
विश्वेशरा,केदार,भीम, बैद्यनाथ, त्रयंबकम रामेश्वरम,उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम।।
प्रसन्न हो परम पिता, ये अनूपदान दायिताम,नमः शिवाय नमः शिवाय भक्त गुण गायितंम,
नमः अलख निरंजनम श्याम मंगलम करम,उमा पति महेश्वरम नमामि शिव शंकर।।