पौराणिक इतिहास के मुताबिक महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह में वीर अभीमन्यु वीर गति को प्राप्त हुए थे। उस समय उत्तरा जी को भगवान श्री कृष्णा जी ने वरदान दिया था कि तू कल्युग में ”नारायणी” के नाम से श्री सती दादी के नाम से विख्यात होगी, और हर किसी का कल्याण करेगी और पूरी दुनिया में पूजी जाएगी।
ॐ जय श्री राणी सती माता, मैया जय राणी सती माता ।
अपने भक्त जनन की, दूर करन विपत्ती ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
अवनि अननंतर ज्योति अखंडीत, मंडितचहुँक कुंभा ।
दुर्जन दलन खडग की, विद्युतसम प्रतिभा ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता, मैया जय राणी सती माता ॥
मरकत मणि मंदिर अतिमंजुल,शोभा लखि न पडे ।
ललित ध्वजा चहुँ ओरे,कंचन कलश धरे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता, मैया जय राणी सती माता ॥
घंटा घनन घडावल बाजे,शंख मृदुग घूरे ।
किन्नर गायन करते,वेद ध्वनि उचरे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता, मैया जय राणी सती माता ॥
सप्त मात्रिका करे आरती, सुरगण ध्यान धरे ।
विविध प्रकार के व्यजंन, श्रीफल भेट धरे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता, मैया जय राणी सती माता ॥
संकट विकट विदारनि,नाशनि हो कुमति ।
सेवक जन ह्रदय पटले, मृदूल करन सुमति ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता, मैया जय राणी सती माता ॥
अमल कमल दल लोचनी, मोचनी त्रय तापा ।
त्रिलोक चंद्र मैया तेरी, शरण गहुँ माता ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता, मैया जय राणी सती माता ॥
या मैया जी की आरती, प्रतिदिन जो कोई गाता ।
सदन सिद्ध नव निध फल,मनवांछित पावे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,मैया जय राणी सती माता ।
अपने भक्त जनन की,दूर करन विपत्ती ॥