श्री बद्रीनाथजी की आरती
पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् ।निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥ शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत …
पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् ।निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥ शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत …
श्री विष्णु आरती ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण …