कृष्ण जन्माष्टमी 2024 का शुभ महूर्त

कृष्ण जन्माष्टमी एक हिंदू त्योहार है जो भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, भगवान कृष्ण को हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण और प्रिय देवताओं में से एक माना जाता है। यह त्यौहार आमतौर पर हिंदू कैलेंडर में भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष (अंधेरे पखवाड़े) के आठवें दिन (अष्टमी) को पड़ता है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर में अगस्त या सितंबर से मेल खाता है।

यह त्यौहार पूरे भारत में और महत्वपूर्ण हिंदू समुदायों वाले कई अन्य देशों में हिंदुओं द्वारा बड़ी भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसमें विभिन्न अनुष्ठान और रीति-रिवाज शामिल हैं, जिनमें उपवास, भजन कीर्तन और भगवान कृष्ण के जीवन की घटनाओं, विशेषकर उनके बचपन और युवावस्था की लीलाओं की पुनरावृत्ति शामिल है।

घटनातिथिनिशित पूजा समयअवधिदही हांडी तिथि
भगवान कृष्ण के 5251वे जन्मोत्सवसोमवार, 26 अगस्त 202412:01 बजे से 12:45 बजे तक, 27 अगस्त 202445 मिनटमंगलवार, 27 अगस्त 2024
घटनातिथिसमय
मिड नाइट मोमेंट27 अगस्त 202412:23 बजे रात को
चंद्रोदय मोमेंटकृष्ण द्वादशी11:20 बजे रात को
अष्टमी तिथि का प्रारंभ26 अगस्त 202403:39 बजे सुबह
अष्टमी तिथि का समापन27 अगस्त 202402:19 बजे सुबह
रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ26 अगस्त 202403:55 बजे दोपहर
रोहिणी नक्षत्र का समापन27 अगस्त 202403:38 बजे दोपहर

इस तालिका में भगवान कृष्ण के 5251वे जन्मोत्सव (कृष्ण जन्माष्टमी) और संबंधित घटनाओं के बारे में विवरण दिया गया है।

दक्षिण भारत में कृष्ण जन्माष्टमी का एक मुख्य आकर्षण “दही हांडी” परंपरा है, जहां युवा पुरुष दही या मक्खन से भरे बर्तन को तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं, जो दर्शाता है की भगवान कृष्ण को दूध,दही और माखन बहुत पसंद था । यह प्रथा विशेष रूप से पश्चिमी भारतीय राज्य महाराष्ट्र में लोकप्रिय है।

भक्त भगवान कृष्ण को समर्पित मंदिरों में भी जाते हैं, प्रार्थना करते हैं, और भगवान कृष्ण के जन्म के सटीक क्षण को मनाने के लिए आधी रात के उत्सव में भाग लेते हैं। भगवान कृष्ण की जन्मस्थली, मथुरा और भारत के उत्तर प्रदेश में निकटवर्ती शहर वृन्दावन, इस त्योहार के दौरान महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं।

कुल मिलाकर, कृष्ण जन्माष्टमी एक आनंददायक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण अवसर है जो भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाता है, जो अपनी शिक्षाओं, दिव्य नाटकों (कृष्ण लीलाओं) और भक्तों के लिए एक मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत के रूप में पूजनीय हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी 2024 का शुभ मुहूर्त:

इस साल 26 अगस्त 2024 दिन सोमवार को भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत सुबह 3 बजकर 39 मिनट पर होगी और 26 अगस्त 2024 को सुबह 2 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार, कृष्ण जी की जन्म भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

कृष्ण जन्माष्टमी साल 2024 में कब लगेगा रोहिणी नक्षत्र?

पंचाग के अनुसार, 26 अगस्त 2024 को शाम 3 बजकर 55 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत होगी और 27 अगस्त 2024 को शाम 3 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए इस साल 26 अगस्त 2024 की रात को कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा और 26 अगस्त 2024 को ही जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा। जबकि वैष्णव संप्रदाय के लोग 27 अगस्त 2024 को जन्माष्टमी मनाएंगे।

कृष्ण जन्माष्टमी 2024 का व्रत और पूजा

जन्माष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सुबह स्नान व ध्यान से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें और जन्माष्टमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सुबह ब्रह्मा महूर्त में अगर हो सके तो मंदिर में जाएँ। इसके बाद ”ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सवार्भीष्ट सिद्धये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये।।” मंत्र का जप करना चाहिए। इस दिन आप फलाहार और जलाहार व्रत रख सकते हैं लेकिन सूर्यास्त से लेकर कृष्ण जन्म तक निर्जल रहना होता है। व्रत के दौरान सात्विक रहना चाहिए। श्री कृष्ण स्तोत्र और श्री कृष्ण मन्त्रों का पाठ करना चाहिए। शाम की पूजा से पहले सनान करें और भगवान कृष्ण की आरती करें। रात १२ बजे भगवान कृष्ण के जन्म के पश्चात प्रसाद ग्रहण करके आपको व्रत खोल लेना चाहिए।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में हुआ था इसलिए धार्मिक मान्यता है कि जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना मध्य रात में करनी चाहिए। जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हुए भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप ( लाडू गोपाल ) की आराधना करें । मूर्ति स्थापना के बाद उनका गाय के दूध, दही ,शक्कर, मधु और शहद और गंगाजल ( पंचामृत ) से अभिषेक करें। भगवान कृष्ण को मनमोहक वस्त्र पहनाएं। मोर मुकुट, बांसुरी, चंदन, वैजयंती माला, तुलसी दल आदि से उन्हें सुसज्जित करें। भगवान कृष्ण को झूलें पर बिठाये या फिर छोटे से पालने में बिठाये। फूल, फल, माखन, मिश्री, मिठाई, मेवे, धूप, दीप, गंध आदि भी अर्पित करें। अंत में बाल श्रीकृष्ण की आरती करने के बाद प्रसाद का वितरण करें।

कृष्ण जन्माष्टमी 2024 का व्रत और पूजा
कृष्ण जन्माष्टमी 2024 का व्रत और पूजा