कृष्णा जन्माष्टमी व्रत कथा
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भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है| इस तिथि पर भगवान श्री कृष्ण का कंस के कारागृह में जन्म हुआ था|
इस दिन श्री कृष्ण जन्मोत्सव के उपलक्ष में अर्ध रात्रि में व्रत रखकर भगवान का प्रसाद लिया जाता है और प्रसाद के रूप में फलाहार तथा धनिए की पंजीरी और पंचामृत का प्रयोग किया जाता है|
दूसरे दिन इसी उपलक्ष में नंद महोत्सव भी मनाया जाता है| ऐसी मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन उपवास करने से मनुष्य सातों जन्मों के पापों से छूट जाता है|

कृष्णा जन्माष्टमी व्रत कथा
द्वापर युग में जब पृथ्वी पाप तथा अत्याचारों से तपने लगी| तब वह गाय का रूप बनाकर सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी के पास गई|
ब्रह्मा जी ने जब सभी देवताओं के साथ पृथ्वी जी की दुख भरी कथा सुनी तब सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी से कहा यह तो अत्यंत चिंता का विषय है|
हमें भगवान विष्णु के पास चलना चाहिए| तब सभी देवता गन ब्रह्मा जी और पृथ्वी को साथ लेकर शेषसागर के पास चले गए|
वहां पर भगवान विष्णु अनंत छैया पर सो रहे थे| सभी देवताओं ने भगवान विष्णु की स्तुति करी देव दोनों की स्तुति करने पर भगवान विष्णु के निद्रा भंग हो गई| और भगवान विष्णु ने सभी से आने का कारण पूछा तब पृथ्वी बोली है! प्रभु मेरे ऊपर बड़े पाप और अत्याचार हो रहे हैं|
इसका निवारण कीजिए यह सुन भगवान विष्णु बोले मैं ब्रिज मंडल में कंस की बहन देवकी के गर्भ से जन्म लूंगा| तुम सभी ब्रजभूमि में जाकर अलग कुल में जाकर अपना शरीर धारण करो| इतना कहकर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए सभी देवता ब्रज में आकर यादव कुल में नंद यशोदा तथा गोपियों के रूप में पैदा हुए हैं| कुछ दिन बाद वासुदेव ने विवाहित पत्नी तथा साले कंस के साथ गोकुल जा रहे थे| तब तभी अचानक एक आकाशवाणी हुई कंस जिसे तू अपनी बहन समझकर साथ लिए जा रहा है|
उसी के घर उसका आठवां पुत्र तेरे मृत्यु का कारण बनेगा| यह अकाशवानी सुनते ही कंस ने तलवार निकाली और वह देवकी को मारने के लिए दौड़ा|
तब वासुदेव ने हाथ जोड़कर कहा यह औरत बेकसूर है इसे मारना ठीक नहीं है पैदा होते ही मैं आपको अपनी सभी संताने दे दूंगा| तब आपको कौन मारेगा कंस यह बात मान गया तथा उन्हें कारागार में ले जाकर बंदी बना दिया गया दिए गए|
वचन के अनुसार वासुदेव ने अपने सभी पुत्रों को पैदा होते ही कंस को दे दिया तथा पापी कंस ने मारता चला गया| देवकी के सातों पुत्रों को मारने के बाद जब कंस ने देवकी के आठवें पुत्र की बात सुनी| तो उसने कारागृह में कड़ा पहरा लगा दिया|
तब भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात के समय भगवान विष्णु ने बालक के रूप में प्रकट होकर वासुदेव को अपने आपको गोकुल के घर पहुंचाने तथा वहां से कन्या लाकर कंस को सौंपने का आदेश दिया|

तब वासुदेव श्री कृष्ण को गोकुल ले चलने के लिए तैयार हुए दरवाजे अपने आप खुल गए पहरेदार सोए हुए नजर आए| यमुना पार कर वासुदेव गोकुल पहुंच गए|

सोई हुई यशोदा को देखकर उन्होंने बालक कृष्ण को उनके पास सुला दिया और सोई हुई कन्या को लेकर कारागृह में पहुंचे तब कारागृह के दरवाजे अपने आप बंद हो गए|
सिपाहियों ने कंस को सूचना दी यह सूचना पाते ही कंस ने कन्या को लेकर पत्थर पर पटकना चाहा लेकिन हाथ से छूटकर आकाश में वह कन्या उड़ गई तथा साक्षात देवी के रूप में प्रकट हुई और बोली है कंस तुझे मारने वाला गोकुल में कब से पैदा हो चुका है|
इसी प्रकार भगवान श्री कृष्ण का धरती पर अवतरण हुआ भगवान श्री कृष्ण ने बड़े होकर बकासुर तथा कंस जैसे राक्षसों का वध कर पृथ्वी तथा अपने भक्तों की रक्षा की|
