दिन की शुरुआत इन 5 मन्त्रों से करनी चाहिए

पुरातन धार्मिक एवं वैदिक शास्त्रों में हर दिन की शुरुआत शुभ मंत्रों के स्मरण से होती है। सुबह की सफल शुरुआत करने के लिए निचे लिखे गए मंत्र आपको पूरा दिन ऊर्जावान और सफल बनाये रखेंगे, जो आपको देंगे सुख, वैभव, धन और हर तरह की समृद्धि.कृतज्ञ होना हमेशा से हिन्दू धर्म में ऊँचे उठने की निशानी मन गया है।

सुबह उठकर भगवान का धन्यबाद करना अपने ईश्वर का , प्रकृति का , धरती माता का , गौ माता क।, और सभी देवताओं को जिनके बिना इस धरती पर जीवन मुश्किल है। इसलिए हम सुबह उठकर सभी देवताओं और स्त्रोतों को नमन करेंगे।

१. कराग्रे वस्ते लक्ष्मी
२. समुद्रवसने देवी
३. आदिदेव नमस्तुभ्यं
४. ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी
५. त्वमेव माता च पिता त्वमेव

भगवान का दर्शन करने के पूर्व प्रातःकाल जागते ही सबसे पहले दोनों हाथों की हथेलियों के दर्शन का विधान बताया गया है। आपका दिन शुभ और सफल हो इसके लिए हथेली और उसके बाद भगवान का दर्शन करें।

१. कराग्रे वसति लक्ष्मीः, कर मध्ये सरस्वती। करमूले तू ब्राह्म, प्रभाते कर दर्शनम्‌‌।।. (कहीं-कहीं ‘ब्रह्म’ के स्थान पर ‘गोविन्दः या ‘ब्रह्मां’ का प्रयोग किया जाता है।)

अर्थ – हथेलियों के अग्रभाग में भगवती लक्ष्मी, मध्य भाग में विद्यादात्री सरस्वती और मूल भाग में भगवान गोविन्द (ब्रह्मा) का निवास है। मैं अपनी हथेलियों में इनका दर्शन करता हूं।

२. समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले । विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ॥

अर्थ – हे देवी (भूमि देवी), आप में समुद्र बॉस करता हैं, और पर्वत आपकी छाती के रूप में हैं,
हे भगवान विष्णु की पत्नी, आपको नमस्कार है; कृपया मेरे चरणों के स्पर्श को क्षमा करें (पृथ्वी पर, जो आपका पवित्र शरीर है)।

३. आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर । दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते ॥१॥

अर्थ – (श्री सूर्यदेव को नमस्कार), आपको मेरा नमस्कार ,हे आदिदेव (प्रथम देव), कृपया मुझ पर कृपा करें हे भास्कर (चमकते हुए तारे),
आपको मेरा नमस्कार, हे दिवाकर (दिन के निर्माता), और फिर से आपको नमस्कार, हे प्रभाकर (प्रकाश के निर्माता), आपको मेरा नमस्कार है ।

४. ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी,भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः,कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥१॥

अर्थ – ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी मंत्र का अर्थ: हे ब्रह्मा, हे विष्णु, हे शिव आप तीनों से ही इस सृष्टि पर सब कुछ चलती है। हे तीनों लोकों के स्वामी आप सूर्य, चंद्रमा, भूमि, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु सभी ग्रहों को शांत करें।

५. त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।।

अर्थ – ‘हे भगवान! तुम्हीं माता हो, तुम्हीं पिता, तुम्हीं बंधु, तुम्हीं सखा हो। तुम्हीं विद्या हो, तुम्हीं द्रव्य, तुम्हीं सब कुछ हो। तुम ही मेरे देवता हो।’


प्रातःकाल के पांच मंत्र
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