श्री गायत्री शाप विमोचन विधि

गायत्री शापोद्धार स्तोत्र

ब्रह्मा शाप विमोचन
विनियोगः
ॐ अस्य श्री ब्रह्मशापविमोचनमंत्रस्य ब्रह्माऋषिर्भुक्तिमुक्तिप्रदा ब्रह्मशापविमोचनी गायत्रीशक्तिर्देवता गायत्रीछन्दः ब्रह्मशापविमोचने विनियोगः |
मंत्र-गायत्री ब्रह्मेत्युपासीत यद्रूपं ब्रह्मविदो विदुः |
तां पश्यन्ति धीराः सुमनसो वाचमग्रतः |
ॐ वेदांतनाथाय विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात |
ॐ देवी गायत्रीत्वं ब्रह्मशापाद्विमुक्ता भव |

वसिष्ठ शाप विमोचन
विनियोगः
ॐ अस्य श्री वसिष्ठशापविमोचनमंत्रस्य निग्रहानुग्रहकर्ता वसिष्ठऋषिर्वशिष्टानु गृहीता गायत्री शक्तिर्देवता विश्वोद्भवा गायत्री छन्दः वसिष्ठशाप विमोचनार्थं जपे विनियोगः |
ॐ सोऽहंअर्कमयं ज्योतिरात्मज्योतिरहं शिवः |
आत्मज्योतिरहं शुक्रः सर्वज्योतिरसोस्म्यहं |
(( इस मंत्र को बोलकर फिर योनि मुद्रा दिखाए फिर तीन बार गायत्री मंत्र जपे ))
ॐ देवी गायत्री त्वं | वसिष्ठशापाद्विमुक्ता भव |

विश्वामित्र शाप विमोचन
विनियोगः
ॐ अस्य श्री विश्वमित्राशापविमोचनमंत्रस्य नूतनसृष्टिकर्ता विश्वामित्रऋषिर्विश्वामित्रानुगृहिता गायत्री शक्तिर्देवता वाग्देहा गायत्री छन्दः विश्वामित्रशापविमोचनार्थं जपे विनियोगः |
ॐ गायत्रीं भजाम्यग्नीमुखीं विश्वगर्भां समुद्भवाः |
देवाश्चक्रिरे विश्वसृष्टिं तां कल्याणीमिष्टकरीं प्रपद्ये |
ॐ देवि गायत्री त्वं विश्वामित्रशापाद्विमुक्ता भव |

शुक्र शाप विमोचन
विनियोगः
ॐ अस्य श्री शुक्रशापविमोचन मंत्रस्य श्री शुक्र ऋषिः अनुष्टुप्छन्दः देवी गायत्री देवता शुक्रशापविमोचनार्थे जपे विनियोगः |
सोऽहंअर्कमयं ज्योतिरर्क ज्योतिरहंशिवः |
आत्मज्योतिरहं शुक्रः सर्वज्योतिरसोस्म्यहं |
ॐ देवी गायत्री त्वं शुक्रशापाद्विमुक्ता भव |

उपरोक्त मंत्र पढ़ने के बाद फिर सभी से एक साथ प्रार्थना करें।
ॐ अहो देवि महादेवि संध्ये विद्ये सरस्वति |
अजरे अमरे चैव ब्रह्मयोनिर्नमोस्तु ते |
ॐ देवी गायत्री त्वं ब्रह्मशापाद्विमुक्ता भव, वसिष्ठशापाद्विमुक्ताभव, विश्वामित्रशापाद्विमुक्ता भव, शुक्रशापाद्विमुक्ता भव |

गायत्री मंत्र:- “ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्”
इस विधि से गायत्री मंत्र शाप विमोचन करके मंत्र का जाप करें।