योगिनी भद्रिका बुध ग्रह की माता है। नियमित रूप से भद्रिका स्तोत्रम् का पाठ करने से हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है। धन-धान्य में वृद्धि होती है। बुध ग्रह के दुष्प्रभाव समाप्त होते है।
भद्रिका महादशा और अंतर्दशा के समय भद्रिका स्तोत्रम् का नियमित पाठ करने और भद्रिका मंत्र का जाप करने से साधक को बुध ग्रह के प्रभाव से होने वाले कष्टो से मुक्ति मिलती है।
भद्रिका स्तोत्रम् पाठ
भद्रिका भद्रद् भद्र भवरोग विदारिणी ।
भक्तिप्रिया भक्तिगम्या द्विभुजोत्पलधारिणी ॥
बुधस्य जननी बोधा बुधरूपा पतिव्रता ।
भार्गवी लोकजननी भक्ताभीष्टफलप्रदा ॥
भाविनी भवरोगनी भुवनेश्वरपूजिता।
भारती भरतेशाना ग्रहमाता हरेश्वरी ॥
दशारूपाऽन्तरदशारूपा व्यन्तररूपिणी ।
प्राणान्तरस्वरूपा च मातृका चक्ररूपिणी ॥
संग्रामे जयदा काली सर्वत्र सुखदायिनी ।
इति स्तुता महादेवी मया शरभरूपिणी ॥
वरदत्वा गता साऽपि भद्रिका भद्रदायिनी ।
तस्या प्रसादतः प्राप्ते संग्रामे जय मुत्तमम् ॥
फलश्रुति-
इदं मया कृतं स्तोत्रं ये पठिष्यन्ति मानवाः ।
तेषां तु ग्रहजाः पीड़ास्तथा मातृसमुद्भवाः ॥
दशाश्चान्तर्दशाजन्य लग्नगोचरवर्षजाः ।
विनश्यन्ति महासेन सत्यं न संशयः ॥