मंगला स्तोत्रम् | Mangla Stotra

योगिनी मंगला चन्द्रमा की माता है। चन्द्रमा को भगवान शिव ने अपने मस्तक पर धारण कर रखा है। चन्द्रमा बहुत ही शुभ और सौम्य ग्रह है। योगिनी मंगला की उपासना करने से साधक को चंद्रदेव की कृपा प्राप्त होती है। नियमित रूप से मंगला स्तोत्रम् का पाठ करने से चन्द्र ग्रह के दुष्प्रभाव समाप्त होते है। मन में शांति और विचारों में सकारात्मकता आती है। जीवन में शुभता आती है।

मंगला स्तोत्रम्
श्रृणु देवि प्रवक्ष्यामि मंगलायाः स्तवंशुभम्।

ग्रहशान्तिकरं दिव्यं यदुक्तं सिद्धसाबरे ॥

मंगला मंगलाचारा मंगलोदयकारिणी।

चन्द्र प्रसादजननी चन्द्रमाता कृशोदरी ॥

चन्द्रमण्डल मध्यस्था चन्द्रायुत समप्रभा ।

शीतला श्वेतवर्णा च श्वेताम्बर विधारिणी ॥

वराभयकरा शान्ता स्मितास्या पद्मलोचना।

त्रिनेत्रा च स्वयंभूता श्वेत पर्वतवासिनी ॥

दशाशांतिकरी रम्या गोभूस्वर्णादिदायिनी।

सामान्यान्तर्दशारूपा पञ्चत्रिंशद्विभवेत्ः॥

फलश्रुति

एतानि शुभनामानि पठेत् प्रातः समुत्थितः ।

चक्रजन्यं दशाजन्यं पीड़ा तस्य विनश्यति।

मंगलायाः प्रसादेन सर्व भवति शोभनम् ॥

मंगला स्तोत्रम्
मंगला स्तोत्रम्