ज्योतिष शास्त्र में योगिनी दशायें होती है। इन अष्ट योगिनियों को नवग्रहों की माता कहा जाता है। योगिनी सिद्धा शुक्र ग्रह की माता है।इनकी उपासना करने शुक्र की दशा से उत्पन्न दुख और पीड़ा का निवारण होता है। ‘साम्बपुराण’ में इसका उल्लेख मिलता है जिसके अनुसार सूर्य देव के द्वारा कृष्णपुत्र साम्ब को यह स्तोत्र कहा गया है।
योगिनी सिद्धा की उपासना करने से साधक को शुक्र ग्रह की शुभता प्राप्त होती है। कुण्ड़ली में शुक्र ग्रह की स्थिति के कारण होने वाले दुख और पीड़ा का निवारण होता है। दुष्ट और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा होती है। वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
सिद्धा स्तोत्रम् पाठ
श्री सूर्य उवाच
श्रृणु साम्ब महाबाहो सिद्धा स्तोत्रमनुमुत्तमम्।
विरुद्धस्याऽसुरमुरोः पीड़ाशान्तिः विधायकम् ॥
स्तोत्र पाठ
योगिनी सिद्धिदा सिद्धा मन्त्रस्वरूपिणी ।
तपसः सिद्धिरूपा च दयारूपा क्षमान्विता ॥
ऋद्धिरूपा शांतिरूपा मेधारूपा तपस्विनी।
पद्महस्ता पद्मनेत्रा शुक्रमाता महेश्वरी ।।
वस्त्रदा धनदात्री ज राज्यदा सुखरूपिणी।
शारदा चरमा काली प्राज्ञसागर रूपिणी ॥
सिद्धेश्वरी सिद्धिर्विद्या सिद्धिलक्ष्मीर्मतंगजा ।
शुक्लवर्णा श्वेतवस्त्रा श्वेतमाल्यानुलेपना ॥
श्वेतपर्वतसंकाशा सुश्वेत स्तनमण्डला ।
कपूररश्मिध्यस्था चन्द्रमण्डलवासिनी ॥
कुशरान्नप्रिया साध्वी त्रिमधुस्था प्रियंवदा ।
कन्या शरीरगा रामा विप्रदेहविचारिणी ॥
चित्रा न हस्ता सुभगा परमान्नप्रियातथा ।
दशास्वरूपा नक्षत्र रूपाऽन्तर्यामिरूपिणी ॥
फलश्रुति
इतिते कथितं वत्स सिद्धास्तोत्रमनुत्तमम् ।
पठनात् पठिनाद् वाऽपि गोसहस्रफलं लभेत् ॥
गृहजन्यं दशाजन्यं चक्रजं भूतसम्भवम्।
पिशाचोरगन्धर्व पूतनामातृ संभवम् ॥
दोषं विनाशमायाति सत्यं सत्यं न संशयः ॥
