पिंगला स्तोत्रम् | Pingala Stotram

योगिनी पिंगला सूर्य की माता है। सूर्य नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली ग्रह है। इनकी उपासना करने समस्त कष्टों और पीडाओं का नाश होता है। यह स्तोत्र ‘रुद्रयामलयन्त्र’ में स्वयं शिव द्वारा कार्तिकेय जी को सुनाया गया है। योगिनी पिंगला की उपासना करने से साधक को सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है। नियमित रूप से पिंगला स्तोत्रम् का पाठ करने से कष्ट और पीड़ा का नाश होता है। जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सूर्य ग्रह के दुष्प्रभाव समाप्त होते है।

पिंगला स्तोत्रम्

श्रृणु षण्मुख तत्त्वेन कश्यमानं मयाऽनघ ।
पिंगला सूर्यजननी जनसम्मोहकारिणी ॥

पराभयघटा सौम्या त्रिनेत्रा कञ्चलोचना ।
कुसुम्भवर्णा रक्ताक्षी सूर्यबिम्बनिवासिनी ॥

ग्रहपीड़ापहरणीं रक्तपद्यातवीरता ।
रक्ताम्बरा रक्तमाल्या रक्तचन्दनचर्चिता ॥

बिल्वस्तनी विशालाक्षी मधुपानस्ता सदा ।
मधुप्रिया दशारूपा दशाधींशा ग्रहेश्वरी ॥

मारकेशी महानंदा परिपाक फलप्रदा।
पिंगलायास्तवं ह्येतत् महाशान्ति विधायकम् ॥

ग्रहपीडापहणं पठनात् सर्वकामदम् ।
यस्य संस्मरणादेव निहस्ताको मया ॥

विशेषतः कलियुगे प्रधाना योगिनी गणाः ।
कृशरान्नौवडिवाश्च कान्यकांस्तर्पयेद् बुधः ॥

फलश्रुति-

पठेत् स्तोत्र महेशन्याः पीड़ाशान्तिर्भविष्यति ।
आयुरारोग्यमाप्नोति वित्तञ्च लभते बहु ॥

पिंगला स्तोत्रम्,Pingala Stotram
पिंगला स्तोत्रम्