श्री शिवाय नमस्तुभ्यं | Shri Shivay Namastubhyam

श्री शिवाय नमस्तुभ्यम् मंत्र

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र शिव महापुराण में वर्णित मंत्र है। भगवान शिव की आराधना करने का सरल मंत्र है। ॐ नमः शिवाय के समान यह दूसरा मंत्र जिसका प्रभाव बहुत अधिक है। श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र को शिवपुराण के नाम से भी जाना जाता है।

शिव पुराण मूल रूप से भगवान शिव को समर्पित है। शिव पुराण में भगवान शिव की महिमा का विस्तृत वखान किया गया है। शिवपुराण शैव संप्रदाय के किसी भी योगी या भक्त के लिए एक बहुत ही खास और महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है।

शिव पुराण में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा की सभी विधियां,पूजा सामग्रिरी,पूजा मंत्र और पूजा करने के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया गया है। भगवान शिव के रुद्राभिषेक के वारे में शिव पुराण के बारे में बताया गया है।

इस मंत्र की पूरी पूजा विधि और प्रक्रिया शिव पुराण में वर्णित है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक महामंत्र या बीज मंत्र भी दिया गया है जिसे श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र भी कहा जाता है।

इस मंत्र के जाप से भगवान शंकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं और लोगों की मनोवांछित इच्छा पूरी करते हैं। सनातन धरम और पुराणों के अनुसार कि भगवान शिव बड़े दयालु और भोले हैं, निष्काम भावना से एक लोटा जल चढ़ाने से रीज जाते है।

मानिसक समरण करके भी जो भगवान शिव की पूजा करता है तो भगवान शिव उसको भी फल दे देते है। भगवान शिव भक्तों की सच्ची श्रद्धा पर प्रसन्न होते है। सावन का महीना भगवान शिव को अतिप्रिय है और भक्त इस महीने में बड़े उत्साह के साथ भगवान शिव की पूजा और पूजा कार्य में लगे भक्तो की सेवा करते है।

अमरनाथ यात्रा , कांवड़ यात्रा और सोमवार में शिव मंदिरों में दर्शन करने वालों का बहुत बड़ा जमावड़ा देखा जा सकता है।

भगवान शिव का प्रिय मंत्र श्री शिवाय नमस्तुभ्यं शिव महापुराण से लिया गया है। भगवान शिव के बारे में सब कुछ गहन शोध के बाद शिव पुराण में लिखा गया है, जैसे उनका जीवन, उनका रहन-सहन, उनका विवाह और उनके बच्चे और उनके बारे में सारी जानकारी दी गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवपुराण छह खंडों और 24000 श्लोकों में विभाजित है।

शिवपुराण को निम्नलिखित छ: खण्डों में बांटा गया है – विद्येश्वर संहिता, रूद्र संहिता, कोटी रूद्र संहिता, उमा संहिता, कैलास संहिता और वायु संहिता।

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप किया जाता है। इसका जाप हमेशा स्नान के बाद, भगवान के सामने बैठकर शुद्ध मन से करना चाहिए। मंत्र के जाप के दौरान आप ऊन या कुशा का आसान उपयोग कर सकते हैं।

अगर आप भगवान शिव को जल अर्पित करते हुए इस मंत्र का जाप करें तो यह और भी फलदायी होता है। श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप आप किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन ब्रह्ममुहूर्त और प्रदोषकाल के समय इसका जाप करना सबसे उत्तम समय माना जाता है। सोमवार और प्रदोष के दिन भगवान शिव को जल अर्पित करते हुए रुद्राक्ष की माला से 108 बार इस मंत्र के जाप से एक लाख आठ हजार बार महातमृत्युंजय मंत्र के जाप का फल मिलता है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का हिंदी अर्थ है “हे शिव मैं आपको नमस्कार करता हूँ”। शिवाय का अर्थ देवो के देव महादेव शिव है तथा नमस्तुभ्यं का अर्थ नमस्कार या प्रणाम से है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र शिव पुराण का एक अति अद्भुत मंत्र है। कहा जाता है कि इस श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र की एक माला जपने मात्र से महामृत्युंजय मंत्र के 1 लाख माला जपने के बराबर फल मिलता है। यदि कोई भक्त सच्चे व पवित्र तन मन से इस मंत्र का जाप करता है तो निःसंदेह यह मंत्र महामृत्युंजय मंत्र से भी ज्यादा चमत्कारिक मंत्र है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे

इस मंत्र का जाप करने से केवल मनुष्य की सभी मनोकामनाएं ही पूर्ण नहीं होती है। वरण मंत्र के जाप से बहुत सी अनेकों बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है।

इस मंत्र के जाप से हार्टअटैक, कैंसर जैसी भयानक बीमारियों का उपचार भी संभव है। पीड़ित के चिकित्सक तक पहुचने तक यदि उसके समीप यह जाप किया जाए तो इस जाप से बेहद ही लाभ मिलता है।

पौराणिक मान्यता है कि इस मंत्र के जाप से लकवे और बुखार के मरीज़ को भी फायदा पहुँचता है। यदि लकवे के मरीज को शिव जी पर चढ़ा हुआ सरसों का वह तेल लगाया जाए जिस के साथ काली मिर्ची, लोंग, कमलगट्टे, बेलपत्र, शनि पत्र का भी उपयोग किया गया हो तो इस तेल की मालिश से लकवे का इलाज सम्भव होता है। इस मंत्र को हजार महामृत्युंजय मंत्र के बराबर माना गया है। इस मंत्र का जाप करने से सुख, समृद्धि, धन लाभ, शांति की प्रप्ति भी होती है।

मानसिक चिन्ताओं से मुक्ति

यदि आप मानसिक रूप से परेशान रहते हैं या आपके मन में बुरे विचार आते हैं। या रात को बुरे सपने आते हों तो इस श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के जाप से ये सारी बाधाएँ दूर हो जाती हैं। मानसिक शान्ति प्राप्त करने के लिए यह मंत्र बहुत ज्यादा असरदार है। ऐंसा स्वयं शिवपुराण में भी बताया गया है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्रमात्रं जपेन्नरः।
दुःस्वप्नं न भवेत्तत्र सुस्वप्नमुपजायते।।

आर्थिक तंगी से छुटकारा

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का एक विशेष चमत्कार या फायदा यह भी है कि इसके जाप करने से घर में आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। घर परिवार में समृद्धि बनी रहती है।

मनोकामना की पूर्ति

जो भी भक्त इस मंत्र का सच्चे हृदय से भक्ति भाव के साथ जाप करता है। भोले नाथ उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं। यह मंत्र अपने आप में एक चमत्कारिक मंत्र है। बस ध्यान इस बात का रखना चाहिए कि जो मंत्र जितना चमत्कारिक है उसके लिए उतनी ही पवित्रता व सच्ची दृढ भक्ति होनी चाहिए।

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श्री शिवाय नमस्तुभ्य: मंत्र का जाप कैसे करें?

भगवान शिव जी के श्री शिवाय नमस्तुभ्य मंत्र का जाप करने की विधि को हमने नीचे विस्तार से समझाने की कोशिश की है, जिसे आप भी फॉलो करके इस मंत्र का उच्चारण करके भगवान शिव द्वारा अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते है।

इस मंत्र का उच्चारण करने के लिए आपको प्रातः काल का समय चुनना चाहिए। वैसे तो आप इस मंत्र का किसी भी समय उपयोग कर सकते है, लेकिन ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार प्रातः काल का समय सबसे अच्छा इसलिए होता है क्योंकि इस समय हर जगह शांति वातावरण बना रहता है।

  • इस मंत्र का जाप करने के लिए आप किसी मंदिर या ऐसी जगह पर जा सकते है, जहाँ बिल्कुल शांत वातावरण बना हुआ हो।
  • शोर – शराबे वाली जगह पर यह मंत्र करने से आपके मंत्र उच्चारण में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे आपका ध्यान भंग हो जाता है और आपको लाभः की प्राप्ति नही होती है।
  • इस मंत्र का उच्चारण करने से पहले आपको स्नान करना बेहद जरूरी होता है। इसके अलावा आपके तन – मन दोनों की शुद्धि अनिवार्य है।
    आपको शिव जी की मूर्ति के सामने बैठकर इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
  • इस मंत्र का जाप करने के लिए आप जिस आसान का उपयोग करते है, वह जगह बिल्कुल साफ और सुथरा होना बहुत ही जरूरी होता है और यह आसन कुशन तथा ऊन से बना होना चाहिए।
  • इस मंत्र का जाप करते समय ध्यान केंद्रित होना बेहद ही जरूरी है। साथ ही मन विचलित नहीं होना चाहिए और ध्यान भंग नही होना चाहिए।
  • इस मंत्र उच्चारण करते समय मंत्र का सही से उच्चारण करना बेहद जरूरी होता है। वरना इस मंत्र का गलत उच्चारण करने पर लाभः की प्राप्ति नही होती है।
  • इस मंत्र को ध्यानबंध होकर तथा पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए।
  • यह मंत्र आपको उम्मीद से कहीं ज्यादा और जल्दी से फल प्राप्ति होती है।
  • इस मंत्र का जाप करने के लिए आप 108 रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल कर सकते है।
  • शस्त्रों और विद्वानों के अनुसार यदि आप शिवजी के इस मंत्र का 108 बार जाप करते है, तो आपको महामृत्युंजय मंत्र के 1 लाख 8 हजार बार करने जितना लाभः मिलने की संभावना होती है।

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