नाग दोष निवारण मंत्र

राहु ग्रह का संबंध नाग से है, राहु के प्रभाव से जीवन में उत्‍पन्‍न होने वाले बाधाओं को ही नाग दोष कहा जा सकता है । जन्मकुंडली में छाया ग्रह राहु या केतु पहले घर में, चन्द्रमा के साथ या शुक्र के साथ विराजमान हों तो, ऐसी स्थिति में जातक की कुंडली में नाग दोष का निर्माण होता है। कुंडली में इस दोष के बल तथा स्थिति के आधार पर ही व्यक्ति को कष्ट और इसके अशुभ फल मिलते है ।

नागदोष एवं कालसर्प दोष में क्या अंतर है?

आप शायद सोच रहे होंगे की नागदोष एवं कालसर्प दोष दोनों एक समान है, परन्तु यह सत्‍य नहीं है । कालसर्प दोष वंशानुगत होता है और एक वंश से दूसरे वंश में भी जा सकता है अगर नाग दोष का निवारण न किया जाये। नागदोष का प्रभाव इतनाअधिक होता हैं कि व्यक्ति की मृत्‍यु के बाद भी प्रभावकारी रहता है, उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती ।

ज्योतिष के अनुसार नागदोष का निवारण संभव हैं । कुंडली में सात ग्रहों का राहु या केतु के साथ एक तरफ होने पर कालसर्प दोष बनता है तो वहीं दूसरी ओर पहले, दूसरे, पांचवें, सातवें और आठवें घर में राहु-केतु के प्रवेश पर नाग दोष बनता है ।

नागदोष कैसे बनता है ?

  • मृत्यु के बाद देह संस्‍कार में देरी या फिर किसी अपरिचित के द्वारा अंतिम संस्‍कार होने के कारण अगले जन्म में नागदोष योग लगता है ।
  • जब शरीर के सभी अंगों का एकसाथ दाह संस्‍कार न होना या दुर्घटना में जान गंवाना, आत्‍महत्‍या के कारण हुई मौत वाले को भी अगले जन्म में नागदोष योग लगता है ।
  • पूर्वर्जों द्वारा किसी अजन्‍में बच्‍चे की हत्‍या एवं काला जादू , या तंत्र मंत्र विद्या का इस्तेमाल करके किसी की हत्या करने वाले को भी अगले जन्म में नागदोष योग लगता है ।

नागदोष योग निवारण के अचूक उपाय

  • नाग दोष के प्रभाव को कम करने के लिए षष्‍टी तिथि के दिन सर्प परिहार पूजा करें एवं पूजा के बाद गंगाजल व गौमूत्र मिले जल से स्नान करें ।
  • शिव मंदिर में जाकर नाग के ऊपर जल चढ़ाएं और सफेद पुष्प अर्पित करें।
  • शिवलिंग पर दूध और जल से 108 बार ‘ऊं नम: शिवाय: मंत्र का उच्चारण करते हुये अभिषेक करें ।
  • नागदोष निवारण मंत्र ” ॐ नाग्देवताये नमः का प्रत्येक सोमवार जप करें एवं नाग देवता को खीर चढ़ाएं ।
  • जाचक को शिवरात्रि,नागपंचमी और त्योहारों वाले दिन शेषनाग की पूजा जरूर करें और नाग पूजा स्तोत्र जरूर पढ़ें।
  • अपने घर के मंदिर में मोर पंख जरूर रखें ।
  • सोमवार के दिन पंच धातु की अंगूठी धारण करें ।
  • भोजन ग्रहण करने से पूर्व घर परिवार के सभी सदस्‍य नाग देवता को भोजन अर्पित करें।
  • सुबह उठकर धरती का वंदन करें जिनके फन पर धरती टिकी हुई है।
  • यहाँ भी नाग दिखे नमस्कार करें और उसे कोई हानि न पहुंचाए।
  • इन सब उपायों के प्रभाव से नागदोष योग का कुप्रभाव खत्म होने लगता हैं, और नाग कृपा प्राप्त होने से ब्यक्ति के जीवन में परेशानियां ख़तम होने लगती है।

नागदोष पूजन के लाभ

  • वैदिक ज्योतिष अनुसार पूजन करने से जीवन में समृद्धि आती हैं।
  • जातक के व्यवहार में सकारात्मकता आती है।
  • पूजन कराने से जातक को मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
  • यह पूजा अथवा अनुष्ठान कराने से आपके महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं।
  • जीवन में प्रसिद्ध , मान्यता और मान-सम्मान प्राप्त होता है।
  • घर के सदस्यों का स्वास्थ्य बेहतर होता है।
  • शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं।
  • इस पूजा के प्रभाव से आपके वो सभी कार्य जो रुके हुए थे, वो पूरे हो जाते हैं।
  • नौकरी, करियर और जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है।
कालसर्प दोष निवारण मंत्र
कालसर्प दोष निवारण मंत्र

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